निवर्तमान प्रधानमंत्री ने आज कहा है कि INDIA जनबंधन को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीखना चाहिए की 'बुल्डोज़र' कहां पर चलाना चाहिए। देखिए योगी का 'बुल्डोज़र' कैसे दलित, आदिवासी, और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रणाली के ख़िलाफ़ है!
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 17, 2024
प्रधानमंत्री को साफ़-साफ़ कह… pic.twitter.com/cac2JoR4bx
आरक्षण की आग में सुलगता देशः योगी आदित्यनाथ
किसी समाज अथवा जाति को अगर अकर्मण्य अथवा निकम्मा बनाना हो तो उसे बिना कर्म किये सुविधा प्रदान करते जाइये। निश्चित ही एक समय के बाद अकर्मण्यता एवं निकम्मापन उस जाति अथवा समाज में सर्वत्र दिखाई देगा। भारत की विभाजनकारी राजनीति ने आजादी के बाद इस देश और इसके समाज को स्वावलंबी बनाने के बजाय अधिकाधिक संकीर्ण एवं अकर्मण्य अवश्य बनाया है।
जब आरक्षण के साथ राजनीति ही जुड़ गई और जब भी किसी अच्छे उद्देश्य के साथ राजनीति जुड़ेगी तो उसका बंटाधार होना ही है। आरक्षण का लाभ प्रारम्भ में जिसने प्राप्त किया, सामाजिक और आर्थिक रूप से उसके समुन्नत होने के बाद भी उसे ही यह लाभ प्राप्त होता गया। क्रीमीलेयर की बात यहीं से शुरू भी होती है।
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आरक्षण की जायज नाजायज माँगों की समीक्षा के बजाय इसका दायरा बढ़ता गया और बढ़ाया भी जा रहा है।
-योगी आदित्यनाथ
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देखा देखी करके आज आरक्षण के दायरे में तमाम जातियों ने अपने को लाने के लिए हिंसा का मार्ग भी अपनाना प्रारम्भ कर दिया है। राजस्थान का गुर्जर आंदोलन इसी कड़ी का हिस्सा है।
-योगी आदित्यनाथ
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ईमानदारी से समीक्षा हुई होती तो आरक्षण का यह भयावह दृश्य सामने नहीं आता।
-योगी आदित्यनाथ
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आज इस खाई को और भी चौड़ा करके जहाँ समाज में वर्ग संघर्ष की स्थिति पैदा कर दिया है, वहीं इस आरक्षण के दायरे ने संविधान की धज्जियाँ उड़ाने में भी कोई कोताही नहीं बरती।
-योगी आदित्यनाथ
जब मजहबी आरक्षण की माँग ने न केवल जोर पकड़ना शुरू किया है अपितु उसे तमाम राज्य सरकारें लागू करने के लिए उतारू दिखाई पड़ रही हैं, केन्द्र सरकार ने सच्चर कमेटी गठित करके इस कवायद को और तेज किया है। आरक्षण का यह दायरा कितना नुकसान भारतीय प्रतिभाओं का करेगा कहा नहीं जा सकता। लेकिन यह सत्य है कि अगर इस राष्ट्र को स्वावलम्बी और शक्तिशाली बनाना है तो उसका उपचार आरक्षण नहीं अपितु राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक की प्रतिभा के अनुरूप सम्मान देना ही हो सकता है।
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