ओमिक्रॉन के बढ़ते ख़तरे के बीच ही बर्ड फ़्लू (एवियन इंफ्लूएंजा) ने दस्तक दे दी है। केरल के कोट्टयम में इसके तीन मामले सामने आए हैं।
कोट्टयम जिले की वेचुर, अयमानम और कल्लार पंचायतों में ये मामले मिले हैं। बुधवार से मुर्गियों और दूसरे पक्षियों को मारने का काम बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया गया है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि इस वायरस का संक्रमण दूसरे पक्षियों में न फैले।
पिछले हफ़्ते कोट्टयम के पड़ोसी जिले अलप्पुझा में भी बर्ड फ़्लू का मामला सामने आया था। अलप्पुझा में बड़े पैमाने पर मुर्गियों के मरने के बाद इस बात की आशंका जताई गई थी कि कहीं इनकी मौत बर्ड फ़्लू से तो नहीं हुई है। बाद में यह आशंका सही साबित हुई।
हालात को देखते हुए सरकारी अफ़सरों ने संबंधित महकमे को अलर्ट कर दिया है। जिन इलाक़ों में बर्ड फ़्लू के मामले सामने आए हैं, वहां मुर्गियों और दूसरे पक्षियों को मारने के लिए टीमों को तैनात किया गया है।
केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक़, अगर बर्ड फ़्लू का एक मामला मिलता है तो 28,500 से 35,000 पक्षियों को मारा जाता है। 60 दिन से कम उम्र वाली मुर्गी के लिए 100 रुपये और इससे बड़ी मुर्गी के लिए 200 रुपये सरकार की ओर से मुर्गी पालक को दिए जाते हैं।
पिछले साल दी थी दस्तक
पिछले साल जनवरी में भी बर्ड फ़्लू ने दस्तक दी थी। हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा में इस फ़्लू के कारण कई पक्षियों की मौत हुई थी।
मध्य प्रदेश के आगर मालवा, सीहोर, मंदसौर, खरगौन में कौवों की जबकि हरियाणा के पंचकूला के बरवाला में लाखों पक्षियों की मौत हो गई थी। इसके बाद इन राज्यों के कुछ इलाक़ों में मुर्गियों को बेचने, ख़रीदने और मारने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इनसे जुड़े उत्पाद और मछलियों को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था।
हालांकि अभी तक पक्षियों से मनुष्य में इस संक्रमण के फैलने की ख़बर नहीं है। लेकिन इसे लेकर चिंता बनी हुई है। उधर, भारत में ओमिक्रॉन संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं और यह वायरस कई राज्यों में पहुंच चुका है।
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