सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुईं बिलकीस बानो के मामले में गुरुवार को गुजरात सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी।
गुजरात सरकार ने बिलकीस बानो के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
ये याचिकाएं सीपीएम की पोलित ब्यूरो की सदस्य सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, पत्रकार रेवती और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा की ओर से दायर की गई हैं।
सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान जस्टिस रस्तोगी ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से कहा, सिर्फ इसलिए क्योंकि यह कृत्य बेहद भयानक था क्या यह कहना पर्याप्त होगा कि दोषियों को छोड़ा जाना गलत है।
बता दें कि जस्टिस रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ बिलकिस बानो के मामले में मई, 2022 में फैसला देने वाली उस बेंच का भी हिस्सा थे जिसमें यह कहा गया था कि इस मामले में दोषियों को छूट देने का फैसला करने का अधिकार गुजरात सरकार के पास है। जस्टिस रस्तोगी ने कपिल सिब्बल से पूछा कि उम्रकैद की सजा के दोषियों को आए दिन छूट दी जाती है। इस मामले में अपवाद क्या है।
लेकिन इससे पहले सीजेआई रमना ने साफ किया कि मई, 2022 में अदालत ने जो फैसला दिया था उसमें केवल यही कहा गया था कि जिस राज्य में अपराध हुआ है, उस राज्य में लागू होने वाली नीति के संदर्भ में छूट या समय से पहले रिहाई पर ‘विचार’ किया जाना है।
बीते दिनों देश भर के 6000 से ज्यादा लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि बिलकीस बानो के दोषियों की रिहाई को रद्द किया जाए।
गुजरात सरकार के द्वारा इन दोषियों को 15 अगस्त को रिहा किया गया था और उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। जिन 11 लोगों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा किया गया है उनके नाम- जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरढिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना हैं।
इन सभी दोषियों को साल 2008 में मुंबई की एक विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी और बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा था।
जज ने उठाए थे सवाल
बिलकीस बानो के दुष्कर्मियों को सजा देने वाले जज ने भी दोषियों को रिहा करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए थे। सेवानिवृत्त हो चुके जस्टिस यूडी साल्वी ने कहा था, “सरकार को दोषियों को दी गई सजा, उनके द्वारा किए गए अपराधों और पीड़िता के बारे में भी विचार करना चाहिए था। मुझे नहीं लगता कि इनमें से कुछ भी किया गया है। मैंने सुना है कि छूट देते समय 1992 की नीति के दिशा-निर्देश का पालन किया गया है, न कि 2014 में बनाई गई नई नीति का। नई नीति में ऐसे अपराधों में छूट के प्रावधान नहीं हैं।”
गांव छोड़कर जा रहे परिवार
पिछले दिनों यह भी खबर आई है कि बिलकीस बानो के गांव में दहशत का माहौल है और कई मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं। गांव में पुलिस तैनात की गई है। दाहोद जिला कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में मुस्लिम परिवारों ने कहा है कि रंधिकपुर के कई निवासी गांव से बाहर जा रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा का डर है, खासकर महिलाओं की। ज्ञापन में कहा गया है कि जब तक 11 दोषियों की गिरफ्तारी फिर से नहीं हो जाती, वे वापस नहीं लौटेंगे।
बिलकीस बानो के साथ 3 मार्च, 2002 को भीड़ द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। दुष्कर्म की यह घटना दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में हुई थी। उस समय बिलकीस बानो गर्भवती थीं। बिलकीस की उम्र उस समय 21 साल थी।
‘शांति से जीवन जीने का मेरा हक वापस दें’
गुजरात सरकार के फैसले के बाद बिलकीस बानो ने कहा था कि ऐसे हालात में किसी महिला को कैसे इंसाफ मिलेगा। मैंने सबसे बड़ी अदालत पर भरोसा किया। मैंने व्यवस्था पर भरोसा किया और मैं अपने साथ हुए हादसे के बाद धीरे-धीरे जीना सीख रही थी। उन्होंने कहा है कि उनका दुख और उनका डगमगाते भरोसे का मामला सिर्फ उनके लिए नहीं है बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।
बिलकीस बानो ने कहा था कि किसी ने भी उनसे उनकी सुरक्षा और वह किस हाल में हैं, इस बारे में नहीं पूछा और इतना बड़ा फैसला ले लिया गया। बानो ने गुजरात सरकार से अनुरोध किया है कि उन्हें बिना डर के और शांति से जीवन जीने का अधिकार वापस दिया जाए और उनके परिवार और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए।
क्या हुआ था?
बता दें कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी और हजारों मुसलिम परिवार सुरक्षित स्थानों की तलाश में अपना घर छोड़कर जा रहे थे। इसमें से ही एक बानो का परिवार भी था। लेकिन तभी उन्मादी भीड़ ने तलवारों, लाठी-डंडों से बानो के परिवार पर हमला बोल दिया था जिसमें उनके परिवार के 8 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 6 लोगों का कुछ पता नहीं चला था। इस हमले में बिलकीस बानो किसी तरह बच गई थीं। हमले में बानो की 3 साल की बेटी सालेहा की भी मौत हो गई थी।
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