प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न नीतिगत मामलों पर चर्चा के लिए शनिवार को नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता की। तमाम विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने बैठक में भाग नहीं लिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, ने बैठक में भाग लिया। लेकिन उनका माइक बंद किए जाने और बोलने के लिए सिर्फ पांच मिनट दिए जाने की वजह से उन्होंने बैठक के बीच वॉकआउट कर दिया। लेकिन बैठक में शामिल लोगों की नजरें बिहार के सीएम नीतीश कुमार को तलाश रही थीं लेकिन वे बैठक में हिस्सा लेने नहीं पहुंचे।
बैठक का बहिष्कार करने वाले विपक्षी मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगासामी, केरल के मुख्यमंत्री और सीपीआई (एम) नेता पिनाराई विजयन, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और सभी तीन कांग्रेस मुख्यमंत्री - कर्नाटक के सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी ने नीति आयोग की अहम बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया। दरअसल, नीति आयोग के बैठक के बहिष्कार का पहला कदम डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने उठाया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए। बैठक में उनके राज्य का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने किया। महत्वपूर्ण बैठक से नीतीश की अनुपस्थिति का कारण तुरंत ज्ञात नहीं हो सका। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने बजट प्रस्तावों को मंजूरी दे दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री को लगा कि बैठक में शामिल होने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नीतीश अपना इस तरह से विरोध भी दर्ज करा रहे हैं। मोदी सरकार जेडीयू और टीडीपी के समर्थन से मुख्य रूप से चल रही है। टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू इस बैठक में शामिल हुए और उन्हें 20 मिनट बोलने का मौका भी दिया गया।
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