दिल्ली दंगों से नाराज़ होकर बंगाली फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री सुभद्रा मुखर्जी ने बीजेपी को अलविदा कह दिया है। मुखर्जी 2013 में बीजेपी में शामिल हुई थीं। मुखर्जी ने अपना इस्तीफ़ा पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष को भेज दिया है। हालांकि बीजेपी ने उम्मीद जताई है कि वह अपने फ़ैसले पर फिर से विचार करेंगी।
मुखर्जी ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘मैं बहुत सारी उम्मीदों और आशाओं के साथ बीजेपी में शामिल हुई थी लेकिन दिल्ली में हुई हिंसा ने, घृणा और नफरत के बढ़ते माहौल ने, मुझे परेशान कर दिया है।’ मुखर्जी ने कहा, ‘आपस में भाई-भाई जैसे लोगों को धर्म के नाम पर एक-दूसरे का गला क्यों काटना चाहिये। मैं 40 से ज़्यादा लोगों की मौत की ख़बर सुनकर बेहद परेशान हूं।’ बहुत सोचने के बाद मैंने पार्टी छोड़ने का फ़ैसला किया है।’ दिल्ली में हुए दंगों में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
मुखर्जी ने कहा कि वह ऐसी किसी विशेष तरह की राजनीति से ख़ुद को नहीं जोड़ना चाहतीं जहां लोगों को उनकी इंसानियत से नहीं बल्कि धर्म से पहचाना जाये। न्यूज़ 18 के मुताबिक़, मुखर्जी ने कहा कि वह ऐसी पार्टी में नहीं रहना चाहतीं जिसमें अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा जैसे नेता हों। मुखर्जी ने सवाल उठाया है कि पार्टी ने अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा के भड़ाकाऊ बयानों को लेकर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं की।
फ़िल्म अभिनेत्री से राजनेता बनीं मुखर्जी ने कहा, ‘दंगों के दृश्यों ने मुझे बुरी तरह हिला दिया है। मुझे लगता है कि मुझे उस पार्टी में नहीं रहना चाहिए जो अपने नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में सलेक्टिव है।’
मुखर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ बीजेपी नेता शामिक भट्टाचार्या ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा कि उनकी पार्टी ने किसी भी मुद्दे पर अपनी विचारधारा से समझौता नहीं किया है। शामिक ने पीटीआई से कहा, ‘हमारी पार्टी 50 के दशक से ही शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच अंतर होने की बात कहती रही है। हम भारत के समावेशी चरित्र में भरोसा करते हैं और दिल्ली में हुई हिंसा में बीजेपी का कोई हाथ नहीं है।’
भट्टाचार्या ने कहा कि उन्हें मुखर्जी के पार्टी छोड़ने के फ़ैसले के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करेंगी। हालांकि सुभद्रा मुखर्जी ने इस बात को साफ किया है कि वह नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ नहीं हैं। सुभद्रा मुखर्जी ने कई फ़िल्मों और टीवी सीरियल में काम किया है।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंच से ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो…’ का नारा लगाया था। जबकि कपिल मिश्रा ने जाफ़राबाद में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ सड़क पर बैठी महिलाओं को हटाने की मांग करते हुए कहा था कि पुलिस तीन दिन के अंदर सड़क खाली करा ले वरना वे और उनके समर्थक पुलिस की भी नहीं सुनेंगे। इसके बाद इस क़ानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच पत्थरबाज़ी हुई और दिल्ली तीन दिन तक दंगों की आग में जलती रही।
अनुराग ठाकुर के ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो…’ का नारा लगाने के बाद कई जगहों पर इस तरह के नारे लग चुके हैं। कुछ दिन पहले ही दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर कुछ युवकों ने यह नारा लगाया था। पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था जबकि रविवार को कोलकाता में हुई बीजेपी की रैली में जाते वक़्त पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी यह नारा लगाया। दिल्ली में कपिल मिश्रा द्वारा निकाले गये शांति मार्च में भी यह नारा लगाया गया है।
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