कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर सबसे ज़्यादा चिंता महाराष्ट्र और गुजरात को लेकर जताई जा रही है। लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जहां अभी तो मामले ज़्यादा नहीं हैं लेकिन आने वाले दिनों में ये डेंजर ज़ोन बन सकते हैं। इनमें पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड शामिल हैं।
अभी तक इन तीन राज्यों में कोरोना संक्रमण के कुल 1200 मामले सामने आए हैं। जिनमें बंगाल में 696, बिहार में 383 और झारखंड में 107 मामले हैं।
चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैथेमेटिकल साइंसेज़ ने इस बारे में पड़ताल की है। इंस्टीट्यूट से जुड़े सिताभरा सिन्हा ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि इन तीन राज्यों में भी बंगाल को लेकर विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने कोरोना संक्रमण की महामारी की रफ़्तार को कम करने में बहुत मदद की है।
रिप्रोडक्शन रेट ने बढ़ाई चिंता
सिन्हा ने अख़बार से कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना संक्रमण का रिप्रोडक्शन रेट लॉकडाउन शुरू होने से पहले 1.83 था जो 20 से 27 अप्रैल के दौरान गिरकर 1.29 हो गया है। जबकि 18 से 27 अप्रैल के दौरान पश्चिम बंगाल का रिप्रोडक्शन रेट 1.52 था। इसका मतलब यह हुआ कि बंगाल में कोरोना से संक्रमित होने वाले हर 100 लोग इस वायरस को दूसरे 152 लोगों तक फैला रहे थे।
सिन्हा ने कहा कि बिहार में रिप्रोडक्शन रेट 2.03 और झारखंड में यह 1.87 है। यह आसानी से समझा जा सकता है कि इन तीनों ही राज्यों का रिप्रोडक्शन रेट राष्ट्रीय स्तर से ज़्यादा है और ऐसे में यह निश्चित रूप से ख़तरे की घंटी है।
गांवों से सामने आ रहे मामले
बिहार में स्थिति इसलिए चिंताजनक है क्योंकि बीते कुछ दिनों में गांवों से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं और कहा जा रहा है कि धीरे-धीरे यह वायरस राज्य के 29 जिलों तक पहुंच गया है। महानगरों में काम करने वाले लोग छुपते-छुपाते गांवों तक पहुंच गए हैं और ऐसे में अगर कोई एक संक्रमित व्यक्ति गांव में पहुंचा तो वह दूसरे लोगों तक इस वायरस को ट्रांसफर कर सकता है।
बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने ग्रीन ज़ोन वाले इलाक़ों में छोटी दुकानों, फ़ैक्ट्रियों को खोलने और निर्माण गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत दे दी है। लेकिन इसे लेकर बेहद सतर्कता बरते जाने की ज़रूरत है क्योंकि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच ऐसा फ़ैसला ख़तरनाक साबित हो सकता है।
दूसरी ओर, महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के कुल मामलों के 66 फ़ीसदी केस मुंबई से ही सामने आए हैं। इसी तरह अहमदाबाद में गुजरात के कुल मामलों के 67 फ़ीसदी और मध्य प्रदेश में कुल मामलों के 57 फ़ीसदी मामले इंदौर से आए हैं।
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