10 जुलाई को बकरीद है और इस मौके पर तमाम राज्य सरकारों ने जरूरी नियम-कायदों को जारी किया है। असम की बीजेपी सरकार ने सभी जिलों की पुलिस से कहा है कि वह जानवरों की हत्या के संबंध में बने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे।
जबकि कई राज्यों में उलेमाओं ने अपील की है कि खुले में कुर्बानी ना दें और इसके फोटो और वीडियो को सोशल मीडिया पर ना डालें।
असम सरकार के गृह विभाग की ओर से सभी जिलों की पुलिस को पत्र लिखकर कहा गया है कि पशु कल्याण बोर्ड की ओर से जारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित हो। पशु कल्याण बोर्ड ने बकरीद पर गाय, ऊंट आदि पशुओं की गैरकानूनी हत्या को रोके जाने की मांग की थी।
गाय की कुर्बानी ना दें
असम के नेता और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने मुसलमानों से कहा है कि वे बकरीद के दिन गाय की कुर्बानी ना दें। अजमल ने कहा है कि हिंदू गाय की पूजा करते हैं और उसका सम्मान करते हैं इसलिए हमें उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए।
अजमल ने कहा कि साल 2008 में दारुल उलूम देवबंद ने भी एक अपील में कहा था कि गाय की कुर्बानी नहीं दी जानी चाहिए और वह इसी अपील को दोहरा रहे हैं।
स्पीकर ने लिखा पत्र
महाराष्ट्र की विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने राज्य के डीजीपी रजनीश सेठ को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि बकरीद के दिन महाराष्ट्र में एक भी गाय की कुर्बानी ना हो।
त्रिपुरा की सरकार ने कहा है कि बकरीद के मौके पर पशुओं के वध पर कोई रोक नहीं है। राज्य सरकार के मंत्री भगवानदास ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पशुओं को इधर से उधर ले जाना और उनका वध किया जाना, सब कुछ कानून के नियमों के मुताबिक ही होना चाहिए।
सार्वजनिक स्थलों पर कुर्बानी न हो
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को निर्देश दिया है कि बकरीद के दिन सार्वजनिक स्थलों पर कुर्बानी नहीं होनी चाहिए और पहले से निर्धारित जगहों पर ही कुर्बानी की जाए। उन्होंने अफसरों से कहा है कि सड़क, चौराहों पर कुर्बानी ना हो। इसके अलावा कुर्बानी के बाद जो भी मांस आदि वहां पर हो उसका निस्तारण किया जाना चाहिए और सफाई का उचित प्रबंध होना चाहिए वरना बीमारियां फैलेंगी।
उत्तराखंड में नैनीताल हाई कोर्ट ने सिर्फ हरिद्वार जिले के मंगलौर कस्बे में पशु वध की अनुमति दी है। हाईकोर्ट ने यह आदेश हरिद्वार जिले में कसाईखानों पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध के विरोध में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। मंगलौर के कुछ लोगों के द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि यहां पर 87 फीसद आबादी मुसलमानों की है और इसलिए बकरीद के मौके पर पशुओं के वध की अनुमति दी जानी चाहिए।
सोशल मीडिया पर ना डालें फोटो
इसके अलावा कई राज्यों में उलेमाओं ने अपील की है कि खुले में कुर्बानी ना दें और इसके फोटो और वीडियो को सोशल मीडिया पर ना डालें। शुक्रवार की नमाज के बाद उलेमाओं ने यह अपील की है। उलेमाओं ने कहा कि कुर्बानी के बाद खून और बचे हुए मांस के हिस्सों को वहां से हटा दें। उन्होंने यह भी अपील की है कि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति होने पर नजदीकी पुलिस स्टेशन में संपर्क करें।
अपील जारी करने वाले उलेमाओं में दिल्ली में मुफ्ती अशफाक हुसैन कादरी, हमीरपुर में मौलाना शाहिद मिस्बाही, अजमेर में मौलाना अंसार फैजी, मुरादाबाद में कारी हनीफ, जम्मू में मौलाना सखी, पीलीभीत में मौलाना अब्दुल जलील निजामी, रामपुर में मौलाना समीर अहमद, नागपुर में मौलाना मुस्तफा रजा और मुस्तफाबाद, दिल्ली में मौलाना मुशर्रफ आदि शामिल हैं।
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