महिला पहलवानों ने अपने मेडल गंगा नदी में प्रवाहित करने का अपना फ़ैसला फ़िलहाल टाल दिया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत से मिलकर यह क़दम उठाया। नरेश टिकैत और अन्य खाप चौधरियों के समझाने पर पहलवान बिना मेडल बहाये वापस लौट रहे हैं। उन्होंने नरेश टिकैत को अपने मेडल सौंप दिए हैं। भाकियू प्रमुख ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सभी खाप पंचायतें पहलवानों की लड़ाई मजबूती से लड़ेंगी और उन्हें न्याय दिलाकर ही शांत होंगी। उन्होंने 5 दिन में बड़े फ़ैसले का आश्वासन दिया है। इस पर पहलवान फिलहाल मान गये। हालाँकि उन्होंने स्थायी तौर पर मेडल को प्रवाहित करने का फ़ैसला नहीं टाला है।
इससे पहले एक महीने से अधिक समय तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के बाद भारत के शीर्ष पहलवान विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया अपने ओलंपिक गंगा में विसर्जित करने हरिद्वार पहुँचे। उन्होंने कहा है कि मेडल को नदी में डालने के बाद वे इंडिया गेट पर मंगलवार से आमरण अनशन करेंगे।
पहलवानों ने रविवार को नए संसद भवन की ओर मार्च करने की कोशिश की थी। इसी दिन नये संसद भवन का उद्घाटन किया गया था। दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को रोक दिया था और उन्हें हिरासत में लेने की कोशिश की। इस दौरान भारत के शीर्ष पहलवानों को पुलिस बलों द्वारा घसीटा गया और उठा लिया गया और हिरासत में ले लिया गया था। उन पर दंगा करने, ग़ैर-क़ानूनी रूप से इकट्ठा होने और एक लोक सेवक को उसकी ड्यूटी करने से रोकने का आरोप लगाया गया। उन पर एफ़आईआर भी दर्ज की गई। दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर में धरना स्थल से टेंट, गद्दे और अन्य हर सामान को धरना स्थल से हटा दिया। इन घटनाक्रमों के बाद पहलवानों ने मेडल को गंगा नदी में फेंकने का फ़ैसला किया। बजरंग पुनिया ने इसको लेकर ट्वीट किया था।
क्या पहलवान सचमुच निराश हो गए हैं? कोई खिलाड़ी जब मेडल फेंकने की बात करता है तो सिस्टम से उसकी हताशा को समझा जा सकता है। इससे पहले आज दिन में मेडल को गंगा नदी में बहाने की घोषणा करते हुए बजरंग पुनिया ने लिखा था, '28 मई को हमारे साथ जो हुआ आप सब ने देखा है। पुलिस ने हमारे साथ क्या व्यवहार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, हमारे आंदोलन की जगह को भी छीन लिया गया और उसे तहस नहर कर दिया गया। अगले दिन हमारे ऊपर ही ऊपर एफआईआर कर दी गई।' बजरंग ने सवाल किया कि क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर अपराध किया है।
पहलवानों ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था कि वे अपने मेडल हरिद्वार में गंगा में बहाने के बाद दिल्ली में इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे। इस बीच एक बयान में हरिद्वार के एसएसपी अजय सिंह ने कहा था कि अगर पहलवान गंगा में अपने मेडल डालते हैं, तो पुलिस उन्हें रोकेगी नहीं, हमारे पास उन्हें रोकने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कोई निर्देश नहीं है।
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मेडल गंगा में बहाने के बाद हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी थी।
- बजरंग पुनिया व अन्य पहलवान, 30 मई 2023
बजरंग पुनिया ने लिखा है कि उत्पीड़क संसद में बैठकर ठहाके लगा रहा है और पुलिस व सिस्टम हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रहा है। वो शख्स टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देने वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है। यहां तक की पॉस्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलिंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।
बजरंग पुनिया के बयान पर आगे बढ़ने से पहले यहां यह बताना जरूरी है कि 7 महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस में पॉस्को एक्ट के साथ एफआईआर भी दर्ज है लेकिन अभी तक सांसद की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पिछले एक महीने से महिला पहलवान और अन्य लोग जंतर मंतर पर धरना दे रहे थे लेकिन इस रविवार को जब उन्होंने महिला महापंचायत करना चाही तो उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम की सुरक्षा के मद्देनजर हिरासत में ले लिया गया। ये लोग उस जगह बढ़ना चाहते थे, जहां पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे। पुलिस ने उसी दिन जंतर मंतर पर उनका तंबू वगैरह भी उखाड़ दिया। दिल्ली की यूपी, हरियाणा से लगती सीमाओं पर पुलिस तैनात कर दी गई। धारा 144 लगा दी गई और किसी भी प्रदर्शनकारी को दिल्ली में घुसने नहीं दिया गया। जो लोग समर्थन करने जंतर मंतर पहुंचे उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया।
बजरंग पुनिया की फेसबुक पोस्ट और ट्वीट में कहा गया है कि चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां है, भारत की बेटियों की जगह कहां है, क्या हम सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं। लिखा गया है कि अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं। अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफेदी वाले तंत्र के साथ...।
गंगा को ही क्यों चुना पहलवानों ने
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर महिला पहलवानों और बजरंग पुनिया समेत तमाम पुरुष पहलवानों ने आखिर गंगा नदी को ही इस काम के लिए क्यों चुना। इसका जवाब खुद बजरंग पुनिया की पोस्ट में है। लिखा है- ...अब सवाल आया कि किसे लौटाएं, हमारी राष्ट्रपति को जो खुद एक महिला हैं। मन ने ना कहा क्योंकि वह हमसे सिर्फ दो किलोमीटर बैठी सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी नहीं बोलीं।पहलवानों के बयान में प्रधानमंत्री मोदी का भी जिक्र आया है। लिखा गया है-
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हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुधबुध नहीं ली, बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया और वह तेज सफेदी वाली चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था। उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी। मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र (सिस्टम) हूं।
- बजरंग पुनिया व अन्य पहलवान, 30 मई 2023
महिला पहलवानों ने उस पोस्ट में लिखा है -
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ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए। क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ अपना प्रचार करता है यह तेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है। हम उस शोषण के खिलाफ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है।
- बजरंग पुनिया व अन्य पहलवान, 30 मई 2023
पहलवानों ने लिखा है कि इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां है। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था। ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है। न कि हमें मुखौटा बना फायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र। मेडल हमारी जान है। हमारी आत्मा हैं।
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