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सपा नेता आजम खान को नफरती भाषण के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया। रामपुर की एक अदालत ने नफरत फैलाने वाले भाषण मामले में गुरुवार को आजम ख़ान को तीन साल कैद और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। उनकी सजा के बाद यूपी विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय ने शुक्रवार को उनकी अयोग्यता और रामपुर सदर सीट के खाली होने की घोषणा की।
आजम ख़ान को नफ़रती भाषण के मामले में सजा क्या हुई, कई और नेताओं के नफ़रती भाषणों को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। सोशल मीडिया पर पूछा जा रहा है कि उनके ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई। नफ़रती भाषण देने वाले लोग कौन हैं और उनके ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई हुई, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर आजम ख़ान का मामला क्या है। आजम ख़ान को गुरुवार को रामपुर में एक एमपी/एमएलए कोर्ट ने नफ़रती भाषण देने के लिए तीन साल की जेल की सजा सुनाई। हालाँकि उसी अदालत ने उन्हें तुरंत जमानत दे दी ताकि वह अपनी दोषसिद्धि के लिए उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकें। आजम खान को 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य पर टिप्पणियों के आरोप में दोषी ठहराया गया था।
दोषी ठहराए जाने के साथ ही कहा जा रहा था कि आजम को तीन साल की सजा मिलने से अब उनकी विधायकी पर तलवार लटक रही है। दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा वाले सांसदों को उनके सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि आज़म को तब तक बख्शा जा सकता था जब तक कि वह उच्च न्यायालय नहीं जाते और उनकी अपील पर फ़ैसला नहीं आ जाता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वैसे, आजम के ख़िलाफ़ उस मामले में यह कार्रवाई हुई है जिसमें उन्होंने 7 अप्रैल 2019 को ग्राम खटानगरिया में भाषण दिया था। द टेलीग्राफ़ की रिपोर्ट के अनुसार एफआईआर में आजम को हिंदी में कहते हुए उद्धृत किया गया है, 'मोदीजी, आपने भारत में ऐसा माहौल बनाया है कि मुसलमानों के लिए जीवन मुश्किल हो गया है। वे अवसाद में जी रहे हैं।'
चुनावी अभियान के दौरान उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया है, 'आप (मुसलमान) उन लोगों से बदला लीजिए जो आपको पिल्ला और कुत्ता कहते हैं।' बता दें कि गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी से 2013 के एक साक्षात्कार में एक सवाल पूछा गया था कि क्या उन्हें 2002 की हिंसा पर खेद है, इस पर उन्होंने कहा था कि 'अगर कोई और कार चला रहा है और हम पीछे बैठे हैं, तब भी अगर एक पिल्ला पहिया के नीचे आता है, दर्द होगा या नहीं?'
एफ़आईआर के अनुसार आजम ने रामपुर के तत्कालीन कलेक्टर पर 'एक महीने के भीतर रामपुर को नर्क में बदलने' और 'दंगे भड़काने' की कोशिश करने का भी आरोप लगाया था।
दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने इसी महीने मुसलिम समुदाय पर एक विवादित बयान दिया था। वर्मा ने दिल्ली में सार्वजनिक मंच से भाषण के दौरान मुसलिम व्यापारियों का बहिष्कार करने की अपील कर दी थी। विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में प्रवेश वर्मा ने कहा था कि इन लोगों को सबक़ सिखाने के लिए उनका बहिष्कार करने की ज़रूरत है। कुछ ऐसा ही बयान विधायक नंद किशोर गुर्जर ने भी दिया था।
गुर्जर ने कहा था, 'दिल्ली के अंदर सीएए पर दंगा हुआ। तब ये जिहादी हिंदुओं को मार रहे थे। तो आप लोग थे, अपने घर में घुसा दिया। हमारे ऊपर आरोप लगे कि हम ढाई लाख लोग लेकर दिल्ली में घुस गए। हम तो समझाने के लिए गए थे। लेकिन हम पर पुलिस ने मुक़दमा कर दिया कि हमने जिहादियों को मारने का काम किया। हम जिहादियों को मारेंगे। हमेशा मारेंगे।'
9 अक्टूबर का यह बयान है और इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई है। हालाँकि एफ़आईआर बिना मंजूरी कार्यक्रम करने को लेकर है न कि नफ़रती भाषण को लेकर।
हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेता संगीत सोम ने विवादित बयान दिया था। संगीत सोम ने कहा था, "जिस तरह एक वर्ग की आबादी बढ़ती जा रही है, जिस तरह से आतंक फैलता जा रहा है, ऐसे में राजपूत समाज को फिर से शस्त्र उठाने पड़ेंगे।" हालाँकि, इस मामले में उस तरह की कार्रवाई नहीं हुई। संगीत सोम साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के अभियुक्त भी हैं।
राजस्थान से बीजेपी नेता ज्ञानदेव आहूजा का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेट ने उस वीडियो को साझा किया था। इसमें उन्होंने कहा था, 'अब तक तो पांच हमने मारे हैं, पहली बार उन्होंने हमारा एक मारा है। मैंने तो अबतक कार्यकर्ताओं को खुली छूट दे रखी है कि जो गौ तस्करी करे उसे मारो। खुल्लमखुल्ला छूट दे रखी है, बरी भी कराएंगे और जमानत भी कराएंगे।'
इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई।
बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा ने एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी और इसके बाद देश में कई जगहों पर जमकर बवाल हो चुका है। उन पर अब तक कम से कम 9 एफ़आईआर दर्ज हैं। कई लोगों ने इस मामले को उठाया था। हालाँकि, पुलिस ने अभी तक नूपुर शर्मा को गिरफ़्तार नहीं किया है, लेकिन इस मामले को उठाने वालों में से एक ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद ज़ुबैर को एक अन्य मामले में गिरफ़्तार किया जा चुका है।
तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष बंडी संजय कुमार ने मुसलमानों के खिलाफ नफरती बयानबाजी करते हुए कहा था कि जब पूरी तरह राम राज्य आ जाएगा तो उर्दू भाषा को बैन कर दिया जाएगा। उन्होंने देश में हुए बम धमाकों के लिए मदरसों को जिम्मेदार ठहराया था।
फरवरी, 2020 में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के जाफराबाद में प्रदर्शन के दौरान बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का वीडियो सामने आया था। कपिल मिश्रा ने पुलिस से कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के जाने के बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे। ट्रंप जिस दिन भारत आए थे, उसी दिन हिंसा भड़क गई थी।
हरिद्वार में 2021 में 17 से 19 दिसम्बर तक आयोजित की गई धर्म संसद में मुसलमानों के नरसंहार की धमकी दी गई थी। इस मामले में उत्तराखंड पुलिस ने यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी (जो धर्मांतरण से पहले वज़ीम रिज़वी थे) को गिरफ्तार किया था। ये दोनों ही नेता जमानत पर बाहर हैं। लेकिन यति नरसिंहानंद लगातार भड़काऊ बयानबाजी करता रहता है। हरिद्वार की धर्म संसद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।
तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष बंडी संजय कुमार ने मुसलमानों के खिलाफ नफरती बयानबाजी करते हुए कहा था कि जब पूरी तरह राम राज्य आ जाएगा तो उर्दू भाषा को बैन कर दिया जाएगा। उन्होंने देश में हुए बम धमाकों के लिए मदरसों को जिम्मेदार ठहराया था।
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