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अयोध्या: सीजेआई की सुनवाई से ‘वॉक आउट’ की धमकी, राजीव धवन ने फाड़े कागजात

राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद मामले की सुनवाई के अंतिम दिन सुप्रीम कोर्ट में खासा हंगामा हुआ है। सुबह ही सीजेआई रंजन गोगोई ने इस मामले में अब किसी और याचिका को शामिल करने से मना कर दिया था और कहा था कि शाम 5 बजे तक मामले की सुनवाई ख़त्म कर ली जायेगी। 

बुधवार को सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने कहा कि वह कुनाल किशोर की एक किताब 'अयोध्या रीविजेटेड' को अदालत में पेश करना चाहते हैं। किताब दिए जाने पर सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई और अदालत में किताब के कुछ हिस्सों को फाड़ डाला। ख़बरों के मुताबिक़, इस पर सीजेआई गोगोई ने कहा कि अगर इस तरह की बहस अदालत में होगी तो वह अदालत से उठकर चले जायेंगे। इस पर महासभा के वकील ने कहा कि वह अदालत का सम्मान करते हैं और उन्होंने अदालत की मर्यादा को भंग नहीं किया है। 

6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर हर दिन सुनवाई चल रही है। इस दौरान हिंदू पक्ष, मुसलिम पक्ष ने अपनी दलीलें अदालत में रखीं हैं। हिंदू पक्ष के वकीलों की ओर से एएसआई की रिपोर्ट और अन्य बातों का हवाला दिया गया, जबकि मुसलिम पक्ष की ओर से भी तर्क दिये गये। 
सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि वह इससे पहले ही अयोध्या मामले में फ़ैसला सुना सकते हैं। अदालत की कोशिश मामले में जल्द से जल्द बहस ख़त्म करने की है। मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ में चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस.ए. बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नज़ीर भी शामिल हैं। 

2.77 एकड़ ज़मीन का विवाद

सुप्रीम कोर्ट उन केसों की सुनवाई कर रहा है जिनमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फ़ैसले के ख़िलाफ़ 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। लेकिन हाई कोर्ट का यह फ़ैसला कई लोगों को पसंद नहीं आया। कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर कीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मई 2011 में हाई कोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
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क़मर वहीद नक़वी
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