कथित तौर पर पाँच मिनट में ही 2 करोड़ रुपये की ख़रीदी हुई ज़मीन को 18.5 करोड़ रुपये में राम मंदिर ट्रस्ट को बेचे जाने की ख़बर के बाद अब ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 20 लाख रुपये की खरीदी गई ज़मीन को दो महीने बाद ही राम मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, और जिन्होंने यह काम किया वह अयोध्या के मेयर और बीजेपी नेता ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय हैं। फ़ेसबुक पेज पर उन्होंने ख़ुद को बीजेपी का सक्रिय सदस्य बताया है।
यह ख़बर जिस ज़मीन को लेकर है वह इस साल फ़रवरी तक देवेंद्र प्रसादाचार्य नाम के एक महंत की थी। न्यूज़लाउंड्री की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 20 फ़रवरी को दीप नारायण ने उस ज़मीन गाटा नंबर 135 को 20 लाख रुपये में ख़रीद ली। रिपोर्ट के अनुसार, इसी ज़मीन को फिर दीप नारायण ने 11 मई को राम मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ रुपये में बेच दिया। यह पूरा मामला तब हुआ जब स्थानीय अधिकारियों के अनुसार ज़मीन का सर्कल रेट 35.6 लाख रुपये था।
दीप नारायण द्वारा ख़रीदी गई इस ज़मीन के रिकॉर्ड के अनुसार अयोध्या में सदर तहसील के अंतर्गत कोट रामचंद्र, हवेली अवध में है।
जबकि इससे पहले जो ज़मीन खरीद का मामला आया था वह अयोध्या के बागबीजैसी गाँव में है। इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और पूर्व विधायक पवन पांडेय ने आरोप लगाया है कि रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने दो करोड़ रुपए की ज़मीन 18.50 करोड़ रुपए में खरीदी, इसमें करोड़ों रुपये का घपला किया गया। इस ज़मीन को हरीश पाठक ने अयोध्या के बागबीजैसी गाँव में 18 मार्च को 1.2 हेक्टेयर ज़मीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को 2 करोड़ रुपये में बेची। अंसारी और तिवारी ने इसी ज़मीन को राम मंदिर ट्रस्ट को 18.5 करोड़ रुपये में बेच दी। ख़बर यह भी है कि उसी दिन पाठक ने 1.03 हेक्टेयर ज़मीन सीधे राम जन्मभूमि ट्रस्ट को 8 करोड़ में बेची थी।
इस ज़मीन खरीद के पहले मामले का विवाद शांत भी नहीं हुआ है कि न्यूज़लाउंड्री ने इस दूसरी ज़मीन की ख़रीद-बिक्री की क़ीमतों में भारी अंतर की रिपोर्ट छापी है। कोट रामचंद्र, हवेली अवध में यह ज़मीन रामजन्मभूमि बुलाई जाने वाली जगह के क़रीब है।
रिपोर्ट के अनुसार दीप नारायण ने जो ज़मीन राम मंदिर ट्रस्ट को बेची है और उसका 11 मई को 2.5 करोड़ रुपये का जो भुगतान पाया है उसके रिकॉर्ड के अनुसार गवाह के रूप में अनिल मिश्रा हैं। वह ट्रस्ट के एक सदस्य हैं।
रिपोर्ट के अनुसार दीप नारायण ने 20 फ़रवरी को जिस दिन महंत प्रसादाचार्य से 890 स्क्वायर मीटर ज़मीन ख़रीदी थी उसी दिन उन्होंने कोट रामचंद्र में ही गाटा नंबर 36 मि ज़मीन को ट्रस्ट को 1 करोड़ में बेची थी। जबकि यह ज़मीन 676.86 स्क्वायर मीटर ही थी। इस ज़मीन का मूल्य 27.08 लाख बताया जाता है। इस ख़रीद में भी अनिल मिश्रा गवाह थे।
न्यूज़लाउंड्री ने एक दिन पहले ही पहले ज़मीन खरीद विवाद वाले मामले में रिपोर्ट दी थी कि अयोध्या के बागबीजैसी गाँव में राम मंदिर ट्रस्ट ने एक भगोड़े हरीश पाठक से ज़मीन ख़रीदी है। 'न्यूज़लाउंड्री' की रिपोर्ट के अनुसार, हरीश पाठक और उसकी पत्नी कुसुम पाठक के ख़िलाफ़ बाराबंकी, फैज़ाबाद, संत कबीरनगर सहित उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में मुक़दमे दर्ज हैं। हरीश पाठक का बेटा विकास इसी साल जनवरी में धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ़्तार किया गया था जो फ़िलहाल ज़मानत पर बाहर है। इस मामले में उसके माता-पिता हरीश और कुसुम दोनों आरोपी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में धोखाधड़ी के एक मामले में हरीश और कुसुम भगोड़े हैं। कैंट पुलिस थाने के अनुसार जब दोनों स्थानीय अदालत में पेश नहीं हुए तो अगस्त 2018 में उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया और उनकी संपत्ति जब्त करने को पुलिस को कहा गया। पुलिस ने तब हरीश की कार जब्त की थी। रिपोर्ट के अनुसार हरीश पाठक द्वारा संचालित साकेत गोट फार्मिंग के बॉन्ड स्कीम में धोखाधड़ी के भी कई मामले दर्ज हैं।
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