तबलीग़ी जमात और मुसलमानों का ऐसा दानवीकरण कर दिया गया है कि कुछ लोग दान देने पर यह शर्त लगा दे रहे हैं कि इस पैसे का इस्तेमाल 'जाहिल और जिहादी' तबलीग़ी जमात के लोगों पर न हो।
क्या है ख़त में?
ऐसा एक मामला असम में देखने को मिला है। असम फ़ॉरनर्स ट्राइब्यूनल के 12 सदस्यों ने 60 हज़ार रुपए का दान दिया, पर उसके साथ एक चिट़्ठी भी लिख कर लगा दी।इस ख़त में कहा गया है कि यह पैसा उन 'जाहिल और जिहादी' लोगों की राहत पर नहीं खर्च किया जाना चाहिए, जिन्होंने तबलीग़ी जमात के दिल्ली कार्यक्रम में भाग लिया था।
देश से और खबरें
चिट्ठी की बात स्वीकार की
इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में यह कहा है। ख़बर के मुताबिक़, इस चिट्ठी पर असम के बक्सा ज़िले के ट्राब्यूनल के सदस्य कमलेश कुमार गुप्ता का दस्तख़त भी है। यह चिट्ठी राज्य के स्वास्थ्य व वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सर्मा को भेजा गया।गुप्ता ने अख़बार से कहा कि उन्होंने यह चिट्ठी लिखी थी, पर इसे सरकार को नहीं भेजा गया था और उन्होंने इसे वापस ले लिया है। उन्होंने इस मुद्दे पर कोई बात करने से इनकार कर दिया।
इंडियन एक्सप्रेस का यह भी कहना है कि इस ख़त पर दस्तख़त करने वालों में पंपा चक्रवर्ती भी हैं, जिन्होंने भारतीय सेना के रिटायर्ड सूबेदार मुहम्मद सनाउल्लाह को 'विदेशी' क़रार दिया था। बता दें कि इस रिटायर्ड सूबेदार को नागरिकता साबित नहीं करने पर डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया था।
चिट्ठी से सब सहमत नहीं
इस चिट्ठी पर दस्तख़त करने वालों में एक दूसरे आदमी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि किसी को उस चिट्ठी के बारे में पहले नहीं बताया गया था, गुप्ता ने अपनी ओर से वह चिट्ठी लिख कर उसके साथ लगा दी थी। दूसरे लोग उस चिट्ठी में कही गई बातों से सहमत नहीं हैं।बता दें मुसलमानों को इसलाम की शिक्षा देने वाली संस्था है तबलीगी जमात। तबलीग का एक धार्मिक सम्मेलन 13-15 मार्च को दिल्ली में हुआ था, जिसमें 9,000 लोगों ने भाग लिया था। बाद में पाया गया कि इस सम्मलेन में भाग लेने वाले कई लोग कोरोना से संक्रमित थे और उन्होंने दूसरे बहुत लोगों को संक्रमित किया। बाद में देश की अलग-अलग जगहों से तबलीगी जमात के सदस्यों या उनसे जुड़े सैकड़ों लोगों को क्वरेन्टाइन केंद्रों में दाखिल कराया गया।
अपनी राय बतायें