विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की मुंबई में 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाली बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी भी शामिल होगी। इसकी पुष्टि सोमवार को खुद अरविंद केजरीवाल ने की है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा है कि, हां हम मुंबई में होने वाली बैठक में जाएंगे और जो भी रणनीति बनेगी उसके बारे में अवगत करा दिया जाएगा।
अरविंद केजरीवाल इस बैठक में भाग लेंगे कि नहीं इस पर संशय बना हुआ था। उनके और कांग्रेस के बीच हाल के दिनों में कई मामलों में असहमति साफ देखी गई थी। पिछले हफ्ते ही दिल्ली कांग्रेस की एक टिप्पणी के बाद आम आदमी पार्टी के प्रवक्ताओं ने मुंबई बैठक का बहिष्कार करने की धमकी दी थी। उस दौरान कांग्रेस नेता अलका लांबा का बयान आया था कि, 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर पार्टी मजबूत मुकाबले की तैयारी कर रही है। बाद में कांग्रेस ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया और स्पष्टीकरण भी जारी किया था। ऐसे में कयास लगाया जा रहा था कि हो सकता है कि केजरीवाल विपक्षी इंडिया गठबंधन की मुंबई बैठक में नहीं जाएं। लेकिन अब उन्होंने साफ कर दिया है कि वह बैठक में शामिल होंगे।
माना जा रहा था कि केजरीवाल अगर बैठक में नहीं जाते हैं तो यह विपक्ष के बिखराव के तौर पर देखा जाएगा। इस बैठक का आयोजन शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी ( शरद पवार गुट) संयुक्त रूप से करेंगे। मुंबई में आयोजित हो रही यह बैठक पहली बार किसी ऐसे राज्य में हो रही है जहां ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगियों की सरकार नहीं है। यह गठबंधन की तीसरी बैठक है और सूत्रों के मुताबिक, 2024 के आम चुनाव से पहले कम से कम पांच से छह दौर की ऐसी बैठकें होंगी।
26 से ज्यादा दलों के नेता जुट सकते हैं यहां
मुंबई में होने जा रही इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) की तीसरी बैठक को लेकर सब की निगाहे हैं। इस बैठक में कई बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि इसमें 26 से ज्यादा विपक्षी राजनीतिक दलों के करीब 80 नेता शामिल हो सकते हैं। वर्तमान में इस विपक्षी गठबंधन में 26 दल शामिल हैं। मुंबई बैठक में कुछ और दलों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इस बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सीट के तालमेल के संदर्भ में भी कोई रूपरेखा तैयार की जा सकती है। इस दो दिवसीय बैठक में गठबंधन के लोगो का अनावरण होने और इसके संयोजक का चयन होने की भी संभावना है।
मुंबई बैठक में तय होगी 11 सदस्यीय समन्वय समिति
इंडिया गठबंधन की आगामी मुंबई बैठक का बड़ा एजेंडा 11 सदस्यीय समन्वय समिति तय करना है। हालांकि ‘इंडिया’ गठबंधन में अब 26 पार्टियां हैं, लेकिन यह निर्णय लिया गया है कि एक -एक प्रतिनिधि 11 पार्टियों से लिया जाएगा। इन 11 पार्टियों में कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आप, जेडी (यू), राजद, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट ) , जेएमएम, समाजवादी पार्टी और सीपीआई (एम) शामिल हैं। सिर्फ 11 ही पार्टियों को इस समिति में शामिल करने का मकसद ताकि निर्णय लेने में पैनल बोझिल न बन जाए। इसे छोटा रखने से तेजी से निर्णय लिया जा सकेगा।
18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई थी बैठक
मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हो चुके विपक्षी दलों ने अपनी पिछली बैठक 18 जुलाई को बेंगलुरु में की थी। इसका आयोजन कांग्रेस पार्टी की ओर से किया गया था। उस बैठक में 26 विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया था। इसमें ही पहली बार संयुक्त विपक्ष का नाम ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस या ‘इंडिया’ रखा गया था। इस नाम को विपक्ष की बड़ी रणनीतिक जीत को तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने पिछली बैठक में कहा था कि यह ‘इंडिया' 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पराजित करेगा।बेंगलुरु की उस बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव कई विपक्षी नेता शामिल हुए थे।
23 जून को पटना में हुई थी विपक्षी दलों की पहली
विपक्षी दलों की पहली बैठक 23 जून 2023 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर पटना में आयोजित की गई थी। इस बैठक का आयोजन जनता दल (यूनाइटेड) द्वारा किया गया था। माना जाता है कि मोदी सरकार या भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की पहली बड़ी कोशिश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी। नीतीश कुमार ने विभिन्न राज्यों का दौरा कर रे विपक्षी दलों के नेताओं को एक मंच पर आने के लिए तैयार किया था। नीतीश ने कहा था कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है। पटना की बैठक इसलिए भी ऐतिहासिक थी कि इसमें कई ऐसे विपक्षी दलों ने भी हिस्सा लिया था जिनकी आपस में ही नहीं बनती है।
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