अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के मामले में चीन ने भी बयान जारी किया है। न्यूज एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक चीन ने कहा है कि दोनों देशों की सीमा पर हालात पूरी तरह स्थिर हैं।
9 दिसंबर को दोनों देशों के सैनिकों के बीच तवांग सेक्टर के यांगस्ते इलाके में हुई झड़प के बाद चीन की ओर से यह पहली प्रतिक्रिया आई है जबकि भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में बयान दिया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति पूरी तरह स्थिर है और दोनों पक्षों ने राजनीतिक और सैन्य चैनल के जरिए सीमा विवाद के मुद्दे पर बातचीत को जारी रखा है।
इस घटना से कुछ दिन पहले चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिकी सैनिकों के संयुक्त युद्धाभ्यास पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह साल 1993 और 1996 में सीमा को लेकर हुए समझौतों का उल्लंघन है।
विपक्ष के बढ़ते हमलों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में लोकसभा में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को यांगस्ते इलाके में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने इसका दृढ़ता और बहादुरी से सामना किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापाई भी हुई है और भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उनके इलाके में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।
क्या कहा था आर्मी ने?
आर्मी ने इस मामले में बयान जारी कर कहा है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में कुछ इलाके ऐसे हैं जिन पर दोनों ही देशों की सेनाएं पेट्रोलिंग करती हैं और इसे लेकर उनके अपने-अपने दावे हैं। सेना ने कहा है कि ऐसा साल 2006 से है। 9 दिसंबर, 2022 को चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई और इसमें दोनों ओर के जवानों को हल्की चोट आई है। सेना ने कहा है कि तुरंत ही दोनों ओर से सैनिकों को हटा लिया गया और भारत के कमांडर्स ने चीनी सेना के कमांडर्स के साथ इस मुद्दे पर फ्लैग मीटिंग की।
गलवान की हिंसक झड़प
याद दिलाना होगा कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं।
सीमाओं का निर्धारण नहीं
बताना होगा कि दोनों देशों के बीच चार हजार किमी. लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कई इलाक़ों पर अकसर एक-दूसरे के सैनिकों के द्वारा अतिक्रमण की घटना होती है। अतिक्रमण की घटना इसलिए होती हैं क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं निर्धारित नहीं हैं और दोनों की इसे लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं।
सीमाओं पर गश्त के दौरान जब सेनाएं एक-दूसरे के मान्यता वाले इलाक़े में जानबूझ कर या ग़लती से प्रवेश कर जाती हैं तो सैनिकों के बीच कुछ तनातनी होती है और फिर ध्वज बैठकों या फ्लैग मीटिंग के द्वारा मसलों को सुलझा लिया जाता है।
हाई लेवल मीटिंग
इससे पहले रक्षा मंत्री ने मंगलवार सुबह हाई लेवल बैठक बुलाई थी। इस बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख- वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे, विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने शामिल हुए।
सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने रक्षा मंत्री को सीमा पर हालात के बारे में जानकारी दी।
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