जम्मू कश्मीर धारा 370 पर अभी तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें
- जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल हो।
- राज्य में चुनाव सिंतबर 2024 तक कराए जाएं।
- 2019 में धारा 370 खत्म करने का फैसला संवैधानिक था।
- यह अस्थायी प्रावधान है। राष्ट्रपति इसे रद्द कर सकते हैं।
क्या केंद्र सरकार द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का निर्णय संवैधानिक रूप से वैध था? सुप्रीम कोर्ट इसी मुद्दे पर फैसला सुना रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिनों की सुनवाई के बाद 5 सितंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम राय से दिए गए फैसले में कहा कि जम्मू-कश्मीर में सितंबर 2024 तक चुनाव होने चाहिए और राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 की वैधता पर फैसला सुनाया और कहा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का राष्ट्रपति का 2019 का आदेश वैध था।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है। इसमें माना गया कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है। राष्ट्रपति को इसे रद्द करने का भी अधिकार है।
अनुच्छेद 370 पर अपना फैसला सुना रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में शामिल होने के बाद जम्मू-कश्मीर के पास आंतरिक संप्रभुता नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हमारा मानना है कि भारत संघ में विलय के बाद इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है।" चीफ जस्टिस ने कहा-
जस्टिस कौल ने फैसले के कुछ प्रावधानों को पढ़ते हुए कहा: अनुच्छेद 370 का उद्देश्य धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के बराबर लाना था। जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश की आवश्यकता को बड़े इरादे को निरर्थक बनाने के तरीके से नहीं पढ़ा जा सकता है। उन्होंने पढ़ा- जब संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया, तो इसका मतलब केवल अनुच्छेद 370 (3) के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया था। लेकिन मुख्य प्रावधान मौजूद था।
जस्टिस कौन ने कहा- इसमें शामिल मुद्दों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, यह सरकार को तय करना है कि किस तरीके से सत्य और सुलह आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
अपनी राय बतायें