नेशनल कांफ्रेंस (नेकां)
के नेता उमर अब्दुल्ला ने आज भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र शासित प्रदेश सरकार पर
निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर ने उग्रवाद के सबसे बुरे दिनों में भी ऐसा नहीं हुआ कि राज्य में विधानसभा चुनाव न
हुए हों। यहां आखिरी विधानसभा का चुनाव 2014 में हुआ था।
जम्मू-कश्मीर में आखिरी
विधानसभा चुनाव हुए आठ साल पहले हुए थे। यह पहली बार है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा
चुनावों के बीच इतना लंबा अंतर है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के सबसे बुरे दिनों
में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी। उमर अब्दुल्ला ने यह बात जम्मू-कश्मीर के बनिहाल
में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता
उमर अब्दुल्ला आज शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर
के बनिहाल में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर को
राज्य का दर्जा बहाल करने के बारे में बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने न्यायपालिका में विश्वास व्यक्त किया। केंद्र
सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया।
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आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अब भी मानता हूं कि अनुच्छेद 370 हमारी तुलना में कांग्रेस की विरासत [विरासत] से अधिक है। लेकिन मैं उनकी राजनीति
पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। जहां तक पूर्ण राज्य के दर्जे का सवाल है,
इसे हमसे नहीं छीना जाना चाहिए था। जम्मू और कश्मीर
को केंद्र शासित प्रदेश में बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है, लेकिन उन्होंने इसे बना दिया है तो हम फिर से पूर्ण राज्य
बनने का इंतजार कर रहे हैं।
पूर्ण राज्य के लिए हमारी
लड़ाई अदालत के माध्यम से जारी रहेगी, और हम आशावादी हैं। जिस तरह से केंद्र की
बीजेपी सरकार इसकी सुनवाई को रोकने की कोशिश कर रही है उससे तो यही लगता है कि हमारा मामला उनसे ज्यादा मजबूत
है। केंद्र ने 5 अगस्त,
2019 को जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द
कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में
उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा के
बारे में भी बात करते हुए कहा कि देश का एकजुट रहना महत्वपूर्ण है। इस यात्रा का
संदेश जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
लोग यहां इस तरह से एकजुट हों
जिससे आंतरिक संघर्ष कम से कम हों। केंद्र शासित
प्रदेश में लोकतंत्र की एक सीमा है।
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“अन्य प्रदेशों की तुलना
में कश्मीर में भी लोकतंत्र
की एक सीमा है। ऐसे मामलों में भारत जोड़ो
यात्रा जैसी चीजें अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। श्री अब्दुल्ला ने यूटी में
लोग यात्रा के लिए बहुत अधिक उत्साहित
हैं। उम्मीद है कि यात्रा के
अंतिम दिन 30 जनवरी को भारी संख्या
में लोग जुटेंगे।
राहुल गांधी पर अपनी राय
व्यक्त करते हुए अब्दुल्ला ने कहा,
"मुझे नहीं लगता कि रघुल गांधी ने अपनी छवि बदलने के लिए इस यात्रा का आयोजन
किया। जहां तक मैं उन्हें जानता हूं, अगर उन्होंने यात्रा का नेतृत्व किया है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि वह वास्तव में देश को एकजुट करना
चाहते थे।
उन्होंने कहाकि देश के
मौजूदा हालात से मैं भी परेशान हूं। देश में जिस तरह से धार्मिक तनाव पैदा किया जा
रहा है और जिस तरह से यहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, उससे यहां के बहुत लोग परेशान हैं।"
इस बड़े देश में
मुसलमानों की इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद लोकसभा या राज्यसभा में एक भी मुस्लिम
सांसद सदन में नहीं है। आजादी के बाद शायद यह पहली बार है कि भारत की संसद में
मुस्लिम वर्ग से कोई प्रतिनिधि नहीं है, जिसकी आबादी 15 प्रतिशत है।
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