सेना प्रमुख जनरल एम.एम.नरवणे ने कहा है कि चीन के साथ लगने वाली भारतीय सीमाओं पर हालात नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा कि दोनों ओर की सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, नरवणे ने शनिवार को कहा कि हमें उम्मीद है कि लगातार बातचीत के जरिये हम सभी मतभेदों को सुलझा लेंगे।
भारत-चीन सीमा पर क्या हालात हैं, इस बारे में चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख, एयर फ़ोर्स और नेवी के प्रमुख शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जानकारी दे चुके हैं।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाक़े में काफ़ी दिन से तनाव चल रहा है। इसके अलावा उत्तरी सिक्किम के नाकू ला सेक्टर में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़पें हो चुकी हैं। पिछले महीने आई सैटेलाइट तसवीरों से पता चला था कि पैंगोंग झील से लगभग 200 किमी दूर स्थित एक हवाई अड्डे पर चीनी वायु सेना के चार लड़ाकू विमान मौजूद थे।
भारत और चीन के बीच 6 जून को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीन के माल्डो इलाक़े में बातचीत हुई थी। इसके अलावा शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख के गलवां घाटी में भी दोनों देशों की सीमाओं के बीच मेजर जनरल लेवल की बातचीत हुई थी। इससे पहले ऐसी ही बातचीत बुधवार को भी हुई थी।
पिछले हफ़्ते चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि दोनों देश एलएसी पर चल रहे तनाव को बातचीत के जरिये सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए सहमत हैं।
दोनों देशों के बीच चार हजार किमी. लम्बी वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई इलाक़ों पर अक्सर एक-दूसरे के सैनिकों द्वारा अतिक्रमण की वारदात और झड़प होती हैं जिन्हें आम तौर पर आपसी बातचीत के द्वारा सुलझा लिया जाता है। अतिक्रमण की वारदात इसलिए होती हैं क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं निर्धारित नहीं हैं और दोनों की इसे लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं।
सीमाओं पर गश्त के दौरान जब सेनाएं एक-दूसरे के मान्यता वाले इलाक़े में जानबूझ कर या ग़लती से प्रवेश कर जाती हैं तो सैनिकों के बीच कुछ तनातनी होती है और फिर ध्वज बैठकों के द्वारा मसलों को सुलझाने की कोशिश की जाती है।
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