केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि खान को हुकूमत चला रहे एनडीए गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। भारत के निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रपति के चुनाव की तारीखों का एलान किया और उसके बाद ट्विटर पर लोगों ने भारत का राष्ट्रपति कौन हो सकता है, इसे लेकर चर्चा शुरू कर दी।
इन चर्चाओं के दौरान ही आरिफ मोहम्मद खान का नाम ट्रेंड करने लगा।
यहां इस बात का जिक्र करना बेहद जरूरी होगा कि राष्ट्रपति के चुनाव के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने पिछली बार चौंकाने वाले फैसला लिया था। 2017 में जब एनडीए की ओर से राष्ट्रपति के चुनाव के लिए रामनाथ कोविंद के नाम का एलान किया गया तो किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था।
यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भी बीजेपी की ओर से ऐसे किसी नेता को एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर आगे किया जाएगा जिसके नाम के एलान के बाद सभी चौंक जाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते सालों में बीजेपी शासित कई राज्यों में मुख्यमंत्रियों के एलान को लेकर भी चौंकाते रहे हैं।
द्रौपदी मुर्मू का भी नाम
आरिफ मोहम्मद खान के अलावा जिन लोगों के नाम चर्चा में हैं उनमें उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का नाम भी है। यह भी चर्चा है कि रामनाथ कोविंद को एनडीए फिर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकता है। झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन
का नाम भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की सूची में सोशल मीडिया पर तेजी से दौड़ रहा है।
बता दें कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि 21 जुलाई को नतीजे आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है और इस लिहाज से कुछ ही दिन का वक्त उम्मीदवार के चयन के लिए बचा है।
हालांकि जब तक एनडीए अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं कर देता तब तक इस संबंध में सारी बातें सिर्फ अटकलों पर आधारित हैं। लेकिन आरिफ मोहम्मद खान के नाम को लेकर जिस तरह की चर्चा सोशल मीडिया पर है उससे यह चर्चा उठने लगी है कि क्या एनडीए किसी मुसलिम नेता को राष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवार बनाएगा।
डॉ. कलाम को बनाया था उम्मीदवार
इससे पहले साल 2002 में बीजेपी की अगुवाई वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना उम्मीदवार बनाया था और डॉक्टर कलाम भारत के राष्ट्रपति बने थे। इसे आधार बनाकर ही कयास लग रहे हैं कि मोदी सरकार भी मुसलिम समुदाय से आने वाली किसी शख्स का नाम इस पद के लिए आगे कर सकती है।
यह भी चर्चा है कि उपराष्ट्रपति पद पर एनडीए किसी मुसलिम नेता को उतार सकता है। इस पद के लिए आरिफ मोहम्मद खान के अलावा केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के नाम की जबरदस्त चर्चा है। आरिफ मोहम्मद खान बीजेपी के समर्थकों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं।
कौन हैं आरिफ मोहम्मद खान?
आरिफ मोहम्मद खान मूल रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं और उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। आरिफ मोहम्मद खान एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष और सचिव भी रहे हैं।
खान ने 1977 में सिर्फ 26 साल की उम्र में अपना पहला विधानसभा चुनाव बुलंदशहर की स्याना विधानसभा सीट से लड़ा था।
आरिफ मोहम्मद खान का एक लंबा राजनीतिक करियर है और वह कई राजनीतिक दलों में रह चुके हैं। खान कांग्रेस में भी रहे हैं और वह कांग्रेस के टिकट पर कानपुर और बहराइच से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।
उन्होंने शाहबानो के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था और इस मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मतभेद होने के बाद केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ दिया था। साल 1989 में जनता दल की सरकार में खान को ऊर्जा मामलों का मंत्री बनाया गया था। इसके बाद वह बहुजन समाज पार्टी में गए और 1998 में बहराइच से बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीते।
2004 में वह भारतीय जनता पार्टी में आए और कैसरगंज सीट से बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
आरिफ मोहम्मद खान को मुसलिम समुदाय के एक प्रगतिशील नेता के तौर पर माना जाता है और वह समाज में सुधारों की जोरदार वकालत करते रहे हैं। साल 2019 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया।
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