नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा के गुड़गांव-फरीदाबाद में अरावली पहाड़ के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए हरियाणा सरकार पर सौ करोड़ का जुर्माना लगाया है। हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी से कहा गया है कि इस पैसे को फौरन जमा कराएं।
गुड़गांव में अरावली में बसे बंधवाड़ी गांव के पास लैंडफिल साइट बना रखी है, जहां वर्षों से लगभग 33 लाख मीट्रिक टन स्थिर कचरा डंप किया जाता रहा है। बंधवाड़ी गुड़गांव-फरीदाबाद बॉर्डर पर बसा गांव है और इस इलाके में पड़ने वाला अरावली पहाड़ फॉरेस्ट रिजर्व में आता है। यहां पर किसी तरह के निर्माण या कूड़ा आदि फेंकने पर पाबंदी है। एनजीटी ने समय-समय पर गुड़गांव और फरीदाबाद में लैंडफिल साइट की आड़ में पर्यावरण को नष्ट न करने की चेतावनी दी है। एनजीटी ने अब पाया है कि कूड़ा डंप करने की सही योजना बनाने में हरियाणा के तमाम नगर निगम नाकाम सिद्ध हुए हैं।
एनजीटी को बताया गया कि कूड़ा डंप करने के लिए एक चीनी कंपनी इको-ग्रीन विटैलिटी नॉन-पब्लिक रिस्ट्रिक्टेड को 12 महीने के लिए 2017 में कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। लेकिन बाद में यह कॉन्ट्रैक्ट बढ़ता गया। इको ग्रीन ने फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात आदि इलाकों में आबादी के पास डंपिंग साइट बनाई या बनाने की कोशिश की।
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की एनजीटी बेंच ने अब नौ लोगों की समिति गठित की है। जिसकी अध्यक्षता हरियाणा राज्य प्रदूषण प्रबंधन बोर्ड (HSPCB) के अध्यक्ष करेंगे। इस कमेटी का काम होगा कि वो ईको ग्रीन के डंपिंग वाले काम का मूल्यांकन करे। अगर कमेटी यह पाती है कि कॉन्ट्रैक्टर ईको ग्रीन ने ठीक से काम नहीं किया है तो वो इस ठेकेदार को बदलने की भी सिफारिश कर सकती है या इस संबंध में किसी अन्य ठेकेदार की सिफारिश कर सकती है। इस सारे काम के लिए इस समिति को छह महीने का वक्त दिया गया है।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि पर्यावरण और वन क्षेत्रों में विरासत को बनाए रखने में संबंधित नगर निगम या नगरपालिकाएं नाकाम साबित हुई हैं। उन्होंने पर्यावरणीय मानदंडों को बनाए रखने के लिए कुछ भी नहीं किया। जो कदम उठाए गए हैं, वो नाकाफी हैं। इन इलाकों में कचरे को जलाया जा रहा है जिससे भारी वायु प्रदूषण हो रहा है, जिसका असर न सिर्फ आबादी बल्कि 193 प्रजातियों के पक्षियों, ढेर सारी औषधीय फसलों और असोला भाटी बर्ड सेंक्चुरी पर भी पड़ सकता है। तितलियों की 80 से अधिक प्रजातियां, काला हिरन, गोल्डर सियार और तेंदुआ आदि अरावली से गायब हो रहे हैं। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है।
एनजीटी ने समिति को अधिकार दिया है कि इस इलाके में वायु प्रदूषण फैलाने वाली यूनिटों पर लगाम कसी जाए। समिति कानून की उचित तकनीक का पालन करते हुए मुआवजे की वसूली के लिए वैधानिक नियामकों के साथ समन्वय करने के लिए स्वतंत्र होगी।
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एनजीटी ने कहा कि कूड़े को डंप करने के लिए अगर आसपास कोई प्लांट लगाया जाना है तो उसकी व्यवस्था फौरन की जाए। उसके लिए एनवॉयरनमेंट क्लीयरेंस का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। बंधवाड़ी में 10 एकड़ जमीन कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगाने के लिए दी गई थी, लेकिन उसे डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया।
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