We are committed to protect all genuine Indian citizens and the rights of the people of Assam.
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) December 15, 2019
I call upon all sections of the society to thwart the elements who are misleading the people on #CAA & indulging in violence and together continue the growth journey of Assam. pic.twitter.com/RTGeWO2QCI
असम में इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भी इस क़ानून के ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर हैं और वहां से 5 ट्रेनों, तीन रेलवे स्टेशनों और 25 बसों में तोड़फोड़ किए जाने की ख़बर है। असम में इंटरनेट सेवाओं को बंद रखने की समयसीमा आगे बढ़ाते हुए इसे 16 दिसंबर तक बंद रखा गया है। हालाँकि डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी और मेघालय के कुछ हिस्सों में कर्फ़्यू में ढील दी गई है।
राज्य सरकारों ने जताया विरोध
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर विपक्षी दलों की सरकारों ने मुखर विरोध जताया है। पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल की सरकारों ने कहा है कि वे अपने-अपने राज्यों में इस क़ानून को लागू नहीं होने देंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस शासित सरकारों ने भी इस क़ानून को संविधान विरोधी क़रार दिया है।
इस क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नागरिक नहीं माना जाएगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर मोदी सरकार की अगली परीक्षा सुप्रीम कोर्ट में होगी। इंडियन यूनियन मुसलिम लीग (आईयूएमएल), जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने इस क़ानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसके ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दाख़िल की है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा है कि वह इस विधेयक के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएगी।
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