महात्मा गांधी के प्रति अगाध श्रद्धा रखने का दावा करने वाली बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बापू का अपमान करने वालों को उपकृत क्यों करती है। चाहे मामला कर्नाटक बीजेपी के नेता नलिन कुमार कतील को हो या फिर भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर का। कतील ने बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे के पक्ष में बयान दिया था और उसके कुछ समय बाद उन्हें कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया था। बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देश भक्त बताने वालीं भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर को रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में शामिल किया गया था।
बापू को कहा था ‘फ़ादर ऑफ़ पाकिस्तान’
अब ताज़ा वाक़या सामने आया है अनिल कुमार सौमित्र का। ये वही सौमित्र हैं, जिन्होंने पिछले साल बापू को ‘फ़ादर ऑफ़ पाकिस्तान’ यानी पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कहा था। सौमित्र मध्य प्रदेश बीजेपी की मीडिया सेल के प्रमुख थे। ‘फ़ादर ऑफ़ पाकिस्तान’ बताने पर विवाद बढ़ा तो बीजेपी ने उन्हें पद से हटा दिया था, यह मई, 2019 की घटना है। लेकिन अब उन्हें पत्रकारिता के सर्वोच्च संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) में प्रोफ़ेसर नियुक्त किया गया है।
सौमित्र के ‘फ़ादर ऑफ़ पाकिस्तान’ वाले बयान पर बीजेपी ने कहा था कि यह पार्टी की नीतियों, विचारों और सिद्धातों के ख़िलाफ़ है, कुछ ऐसा ही कतील के मामले में भी कहा गया था और 10 दिन में कार्रवाई करने की बात कही गयी थी। लेकिन कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिखी।
सौमित्र ने अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा था, ‘वह (बापू) राष्ट्रपिता थे लेकिन पाकिस्तान के।’ 2013 में सौमित्र जब मध्य प्रदेश बीजेपी के मुखपत्र चरैवैति के संपादक थे, तब उन्होंने ‘चर्च के नर्क में नन का जीवन’ शीर्षक से आर्टिकल लिखा था। इसमें उन्होंने कैथोलिक चर्च में ननों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। तब भी उन्हें बीजेपी ने हटा दिया था।
तब सौमित्र ने इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन को पत्र लिखकर कहा था कि उनके साथ अपराधियों जैसा सलूक किया गया जबकि उन्हें आरएसएस और उसकी विचारधारा से जुड़े होने के कारण संपादक चुना गया था।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, प्रोफ़ेसर पद के लिए 60 से ज़्यादा लोगों का इंटरव्यू लिया गया। यह इंटरव्यू सितंबर के पहले हफ़्ते में लिए गए। सौमित्र अपनी नियुक्ति के 2 साल तक प्रोबेशन पीरियड में रहेंगे।
सौमित्र अब आईआईएमसी जैसे नामी संस्थान में पत्रकारिता के छात्रों को पढ़ाएंगे। बापू के लिए उनकी सोच सामने आने के बाद भी आख़िर कैसे उन्हें प्रोफ़ेसर बना दिया गया। पत्रकार बनने जा रहे छात्रों को वो बापू के बारे में क्या पढ़ाएंगे, ये शायद बताने की ज़रूरत नहीं है।
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