इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस ( इस्कॉन ) ने अपने एक साधु अमोघ लीला दास पर एक महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस पर विवादित टिप्पणी की है। उनकी टिप्पणियों से विवाद पैदा होने के बाद वे अब प्राश्चित करने की खातिर एक महीने के लिए पहाड़ पर जाएंगे और एकांत में रहेंगे।
इस्कॉन ने इस मामले पर एक बयान जारी कर कहा है कि,''अमोघ लीला दास के बयान से हम काफी आहत हैं। उनका यह बयान अनुचित है। इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसके कारण अमोघ दास लीला पर एक महीने के लिए बैन लगाया गया है।
अमोघ लीला दास ने स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर स्वामी विवेकानंद मछली खाएं तो क्या वो एक सिद्ध पुरूष हैं? क्योंकि कभी कोई सिद्ध पुरूष मछली नहीं खाएगा, अमोघ लीला दास ने कहा था कि मछली को भी दर्द होता है। सिद्ध पुरूष के दिल में करूणा होती है। उन्होंने कहा था कि स्वामी विवेकानंद की कुछ चीजें स्वीकार्य नहीं हैं। रामकृष्ण की शिक्षा, जतो मत ततो पथ , पर भी व्यंगात्मक टिप्पणी करते हुए कहा था कि हर रास्ता एक ही मंजिल तक नहीं जाता।
उनकी इन टिप्पणियों के बाद देश भर में उनकी आलोचना होने लगी थी। सोशल मीडिया पर वे खूब ट्रेंड होने लगे हैं। आलोचनाओं के बाद इस्कॉन ने उन पर एक महीने का प्रतिबंध लगाया है।
कौन हैं अमोघ लीला दास
अमोघ लीला दास एक आध्यात्मिक गुरु है। वह सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं। इंजीनियर से संत बने अमोघ दास लीला को सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग फॉलो करते हैं। उनका असली नाम आशीष अरोड़ा है और संत बनने से पहले वह एक इंजीनियर थे। माना जाता है कि उन्होंने बेहद ही कम उम्र में अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर दी थी। वह सिर्फ 29 साल की उम्र में ही इस्कॉन में शामिल हो कर ब्रह्मचारी बन गए थे। वह लखनऊ के एक धार्मिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। एक इंटरव्यू में वह कह चुके हैं कि वर्ष 2000 में जब वह 12वीं कक्षा में थे, तब ही उन्होंने भगवान की तलाश में अपना घर छोड़ दिया था। बाद में उन्होंने वापस आकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी। 2004 में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी के साथ काम करना शुरु किया था। 2010 में कॉर्पोरेट वर्ल्ड को छोड़ने के बाद मात्र 29 वर्ष की उम्र में वो इस्कॉन में शामिल हो गए और कृष्ण ब्रह्मचारी बन गए।
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