कश्मीर में अतिरिक्त
जवानों की तैनाती और अनुच्छेद 35ए समाप्त करने की अटकलों ने जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ पूरे देश का सियासी पारा बढ़ा दिया है। ख़बरों के मुताबिक़, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जल्द ही फिर से जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जा सकते हैं। यहाँ इस बात का उल्लेख करना ज़रूरी होगा कि केंद्र में दुबारा नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद से जिस मुद्दे लेकर सबसे ज़्यादा चर्चा हुई है वह है कश्मीर। अमित शाह ने मोदी सरकार में गृह मंत्रालय संभालते ही कश्मीर को लेकर अपने इरादे ज़ाहिर कर दिये थे। शाह ने कहा था कि उनके एजेंडे पर जम्मू-कश्मीर सबसे अहम है। 30 मई को शपथ लेने के बाद 4 जून को उन्होंने गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की। बताया गया कि इस बैठक में कश्मीर पर ही बातचीत हुई।
इसके बाद 26 जून को अमित जम्मू-कश्मीर के 2 दिवसीय दौरे पर पहुँचे और वहाँ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आतंकवादियों और अलगाववादियों से बेहद सख़्ती से निपटेगी। शाह ने कहा कि कश्मीर में शांति बनाए रखना मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता है और वहाँ के हालात पर सरकार की पैनी नज़र है।
याद दिला दें कि शाह के दौरे के बाद 24 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी श्रीनगर गए थे। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जम्मू-कश्मीर के कई इलाक़ों का दौरा किया था। राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह ख़त्म कर दिया जाएगा और अगर पाकिस्तान से कोई बात होगी तो वह पाक अधिकृत कश्मीर के मुद्दे पर होगी।
अब सवाल यह उठता है कि अमित शाह, राजनाथ सिंह और अजित डोभाल ने सरकार बनते ही इतनी तेज़ी से क्यों कश्मीर के दौरे करने शुरू कर दिए।
राजनीतिक हलकों में इसे लेकर जोरदार चर्चा है कि केंद्र सरकार राज्य से अनुच्छेद 35ए को ख़त्म कर सकती है। हालाँकि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है और इस संबंध में आ रही ख़बरें ग़लत हैं।
अतिरिक्त जवानों की तैनाती क्यों?
सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि मोदी सरकार आख़िरकार क्यों जम्मू-कश्मीर में लगातार अतिरिक्त सुरक्षा बल भेज रही है। हाल ही में सरकार ने 10 हज़ार जवानों की तैनाती घाटी में की थी और अब फिर से सरकार ने घाटी में 25,000 और जवानों को भेज दिया है। जम्मू-कश्मीर के
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पूछा है कि घाटी में अतिरिक्त जवानों की तैनाती क्यों की जा रही है। अब्दुल्ला ने पूछा है कि क्या यह अनुच्छेद 35ए को हटाने और परिसीमन के लिए किया जा रहा है?
सूत्रों के मुताबिक़, मोदी सरकार की जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए को ख़त्म करने की पूरी तैयारी है। लेकिन वह इस मामले में बेहद संभल कर क़दम रखना चाहती है। क्योंकि 35ए को ख़त्म करने की आशंका पर ही पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला कह चुके हैं कि सरकार बताए कि उसकी मंशा क्या है। महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार को आगाह किया था कि राज्य में 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद में आग लगाने जैसा होगा।
ऐसे में सरकार किसी भी हंगामे से बचते हुए इस काम को ऐसे अंजाम देना चाहती है कि जिससे उसे हालात को संभालने में मुश्किल न आए। इसीलिए वह राज्य में लगातार जवानों को भेज रही है ताकि किसी तरह का विरोध होने पर वह हालात से पूरी ताक़त से निपट सके।
बताया जाता है कि अमित शाह ने
35ए को समाप्त करने के बाद पैदा होने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय के अधिकारियों को कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दे दिए हैं। इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय ने संविधान विशेषज्ञों और क़ानूनविदों से भी राय ली है। बीजेपी सैकड़ों बार स्पष्ट कह चुकी है कि वह इस अनुच्छेद को समाप्त करने की पक्षधर है और लोकसभा चुनाव के दौरान उसने इस वादे को कई बार दोहराया।
बहरहाल, अटकलों का दौर जारी है। जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि केंद्र सरकार की तैयारी राज्य में विधानसभा चुनाव कराये जाने की हो और स्वतंत्रता दिवस नजदीक है। स्वतंत्रता दिवस पर आतंकवादी कोई वारदात न कर सकें, इसके लिए भी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के मद्देनज़र जवानों को घाटी में तैनात किया गया हो। लेकिन कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती और 35ए समाप्त करने की अटकलों की जम्मू-कश्मीर से लेकर देश भर में जोरदार चर्चा है। अब देखना यह है कि सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर क्या फ़ैसला करती है और 35ए को हटाने के संबंध में लगाई जा रही अटकलें सच होती हैं ग़लत।
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