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नागालैंड, असम, मणिपुर के कुछ हिस्सों से अफस्पा हटाने का फ़ैसला अब क्यों?

केंद्र सरकार ने नागालैंड, असम और मणिपुर के कुछ ज़िलों से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी अफस्पा (AFSPA) को हटाने का फ़ैसला किया है। इस फ़ैसले को पूर्वोत्तर राज्यों में एक सदभाव का माहौल बनाने के केंद्र के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। 

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को घोषणा की कि नागालैंड, असम और मणिपुर में विवादास्पद अफस्पा के तहत आने वाले क्षेत्रों को दशकों बाद कम किया जाएगा।

पिछले साल नागालैंड के मोन ज़िले में एक दर्जन से अधिक नागरिकों की हत्या के बाद अफस्पा को हटाने के लिए पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में जोरदार मांग उठी है और इसी की पृष्ठभूमि में यह फ़ैसला आया है। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि यह फ़ैसला एक अप्रैल से लागू हो सकता है।

असम के 23 ज़िलों से पूरी तरह और एक ज़िले से आंशिक तौर पर अफस्पा हटा दिया जाएगा। राज्य में 1990 से अफस्पा लागू है। मणिपुर के छह ज़िलों के 15 पुलिस थाना क्षेत्रों को अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जाएगा। इसी तरह नागालैंड के सात ज़िलों के 15 थाना क्षेत्रों को अफस्पा से बाहर रखा जाएगा। 

अमित शाह ने कहा कि अफस्पा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में कमी इसलिए लायी जा रही है कि उग्रवाद को ख़त्म करने और पूर्वोत्तर में स्थायी शांति लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार प्रयासों और कई समझौतों के कारण बेहतर सुरक्षा स्थिति हुई है और तेजी से विकास हुआ है।

उन्होंने कहा, 'पीएम मोदी की अटूट प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद, हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षित था, अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर पूर्वोत्तर के लोगों को बधाई देता हूं।'

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अफस्पा पर लिए गए फ़ैसले का स्वागत करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य का लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र अब अफस्पा के दायरे से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने ट्वीट किया, 'अफस्पा 1990 से लागू है और यह क़दम असम के भविष्य में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। यह राज्य में क़ानून और व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार का प्रमाण है।' 

नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि वह इस क़दम के लिए भारत सरकार के आभारी हैं। रियो ने ट्वीट किया, 'पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि लाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण क़दम है।'

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इसे ऐतिहासिक निर्णय क़रार दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत मजबूत विकास और बेहतर सुरक्षा स्थिति का परिणाम है। उन्होंने ट्वीट किया, 'इस फ़ैसले से मणिपुर में एक बार फिर शांति, समृद्धि और विकास का नया युग शुरू होगा।'

बता दें कि सरकार ने पिछले साल मोन हत्याकांड के मद्देनजर नागालैंड से अफस्पा हटाने की मांग पर गौर करने के लिए एक समिति का गठन किया था। समिति को इसी महीने अपनी रिपोर्ट देनी थी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि रिपोर्ट सौंपी गई है या नहीं।

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2004 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार द्वारा गठित जीवन रेड्डी समिति ने अफस्पा को निरस्त करने की सिफारिश की थी। इसके बाद मामले की जांच के लिए कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया गया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार हालाँकि, मोदी सरकार ने रेड्डी समिति की सिफारिशों को खारिज कर दिया और कैबिनेट उप-समिति को भी भंग कर दिया गया था।

तब से न तो अफ्सपा को समग्र रूप से निरस्त करने के संबंध में और न ही किसी राज्य से इसे हटाने के संबंध में कोई समिति गठित की गई। अफस्पा को किसी राज्य या जिले में केवल छह महीने के लिए लगाया जाता है, जिसके बाद इसकी समीक्षा करनी होती है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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