एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा है कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के लिए किसी को कोई काग़ज़ दिखाने की ज़रूरत नहीं होगी न ही किसी को संदिग्द (डाउटफ़ुल या 'डी') श्रेणी में रखा जाएगा।
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अमित शाह ने कहा, 'किसी दस्तावेज़ को जमा कराने की ज़रूरत नहीं होगी। आपके पास जो काग़ज़ मौजूद हैं, उनसे जुड़ी जानकारियाँ दें और दूसरे सवालों को रिक्त छोड़ दें।'
वह दिल्ली दंगों पर राज्यसभा में चल रही बहस में सरकार का पक्ष रख रहे थे। कांग्रेस ने सवाल किया कि 'क्या डी श्रेणी हटा दी जाएगी', गृह मंत्री ने कहा, 'एनपीआर पर डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। इस प्रक्रिया में किसी को संदिग्ध के रूप में चिह्नित नहीं किया जाएगा।'
एनपीआर का विरोध
बता दें कि कई राज्य सरकारों, विपक्षी दलों और संगठनों ने एनपीआर का विरोध किया है। केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशाा और बिहार की विधानसभाओं ने प्रस्ताव पारित कर कहा है कि वे अपने यहाँ इसे लागू नहीं करेंगी। इन राज्यों की सरकारों ने भी कहा है कि वे एपीआर को लागू नहीं करेंगी।इस पर 'काग़ज़ नहीं दिखाएंगे' नामक आन्दोलन भी चल रहा है। सरकार और सत्तारूढ़ दल बीजेपी एनपीआर पर अड़ी हुई थीं और ज़ोर देकर कह रही थीं कि इसे हर हाल में लागू किया जाएगा। बीजेपी इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़रूरी मानती रही है।
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