चीन के साथ बढ़ते तनाव और गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई झड़प के बाद हथियार बनाने वाली विदेशी कंपनियाँ अपने उत्पाद जल्द से जल्द भारत को देने की कोशिश में हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स ने कहा है कि फ्रांस अगले महीने रफ़ाल लड़ाकू विमान की आपूर्ति कर देगा। रूस अपने गोला-बारूद और दूसरे हथियारों की सप्लाइ समय से पहले कर देगा। बीते दिनों विक्ट्री डे परेड देखने मास्को गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से रूसी अधिकारियों की इस मुद्दे पर बात हुई थी। इसी तरह इज़रायल ने वायु सुरक्षा प्रणाली देने की पेशकश की है, वह भी जल्द ही भारत पहुँचने वाला है।
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हथियारों के ऑर्डर पहले दिए थे
भारत ने इन रक्षा उपकरणों का आदेश पहले ही दे दिया था और उस समय भारत-चीन सीमा पर तनाव नहीं था। पर तनाव बढ़ने के बाद यह कोशिश की जा रही है कि इन हथियारों और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति जल्द से जल्द हो जाए। हथियार देने वाली कंपनियों ने भी इसमें रुचि ली है, रूस और इज़रायल ने तो समय से पहले ही सप्लाई का भरोसा दिया है।इकोनॉमिक टाइम्स ने कहा है कि रफ़ाल लड़ाकू जहाज़ 27 जुलाई तक अंबाला हवाई छावनी पहुँच जाएंगे। इस समय तक जितने जहाज फ्रांस को देने थे, वह उससे ज़्यादा देने को तैयार है। समझा जाता है कि 8 रफ़ाल विमान को वायु सेना में शामिल होने का सर्टिफिकेट जल्द ही मिल जाएगा।
इज़रायल वायु सुरक्षा प्रणाली देगा, जो सीमा पर तैनात किया जाएगा। यह अनमैन्ड डिफ़ेन्स सिस्टम है, यानी इस पर किसी सैनिक या पायलट को भेजने की ज़रूरत नहीं होगी, इसे जम़ीन से ही चलाया और नियंत्रित किया जा सकेगा।
इज़रायल देगा अनमैन्ड सिस्टम
यह मौजूदा ड्रोन का विकसित रूप होगा, जिसमें मिसाइल वगैरह फिट किए जा सकेंगे। इससे शत्रु सीमा में भेज कर हमला किया जा सकेगा। समझा जाता है कि इसे लद्दाख में तैनात किया जाएगा।रूस को 1 अरब डॉलर का अलग से ऑर्डर टैंक और गोला-बारूद की आपूर्ति के लिए दिया गया है। रूस से थल सेना को टैंक-रोधी मिसाइल, कंधे पर रख कर चलाया जाने लायक वायु सुरक्षा हथियार और वायु सेना को हवा से गिराने लायक बम मिलेंगे।
अमेरिका भारत का नया मित्र बन कर उभरा है। वह भारत को ख़ुफ़िया जानकारी और सैटेलाइट तसवीरें देगा।
भारत ने पहले ही एक्स कैलिबर तोपखाने की गोलियों का आदेश दे रखा है। ये ऐसे गोले हैं जो 40 किलोमीटर दूर लक्ष्य पर दागे जा सकते हैं। इसके अलावा एम-77 टैंक के गोले-बारूदों का आदेश भी दिया गया है, जिनका इस्तेमाल पहाड़ी इलाक़ों में किया जा सकता है।
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