पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र को चेताया है कि यदि सतलज-यमुना नहर बनी तो पंजाब जल उठेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर पंजाब और हरियाणा के बीच जल बँटवारा का मसला राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन जाएगा। अमरिंदर सिंह की यह चेतावनी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के साथ बुलाई गई बैठक में आई है। बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद थे।
यह बैठक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से हुई है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता कर सतलज यमुना लिंक कैनाल को पूरा कराए।
पंजाब और हरियाणा के बीच यह मुद्दा काफ़ी लंबे समय से रहा है। दरअसल यह विवाद पानी के बँटवारे को लेकर रहा है।
1966 में पंजाब से जब अलग हरियाणा राज्य बना तभी से यह विवाद है। 10 साल के लंबे विवाद के बाद 1976 में दोनों राज्यों के बीच जल बँटवारे को अंतिम रूप दिया गया और इसी के साथ सतलज यमुना नहर बनाने की बात कही गई। इसको लेकर 1981 में समझौता हुआ और 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने इसके निर्माण कार्य का शुभारंभ भी किया। हालाँकि इसके बाद भी विवाद नहीं थमा। या यूँ कहें कि विवाद बढ़ता ही गया।
नहर से जुड़े लोगों पर आतंकवादियों के हमले भी हुए थे। 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने एसएडी प्रमुख हरचंद सिंह लोंगोवाल से मुलाक़ात की थी और फिर एक नए न्यायाधिकरण के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। लोंगोवाल को समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक महीने से भी कम समय में आतंकवादियों ने मार दिया। 1990 में नहर से जुड़े रहे एक मुख्य इंजीनियर एमएल सेखरी और एक अधीक्षण अभियंता अवतार सिंह औलख को आतंकवादियों ने मार दिया था।
2004 में तो पंजाब ने इस समझौते को मानने से ही इनकार कर दिया। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि अब तक इसका 90 फ़ीसदी कार्य पूरा भी हो चुका है। जो काम बचा वह पंजाब के हिस्से का है। यह इसलिए है कि पंजाब इस नहर के पानी का अधिक हिस्सा चाहता है।
आज जब केंद्र के जल शक्ति मंत्री और पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई तो यह विवाद फिर सामने आ गया। अमरिंदर सिंह ने कहा, 'आज हरियाणा, हमारे और जल संसाधन मंत्री के बीच एक बैठक हुई। मैंने उन्हें बताया कि 1966 में पंजाब के विभाजन के बाद पानी को छोड़कर हमारी सभी संपत्तियाँ 60:40 के आधार पर बाँटी गईं, क्योंकि उस पानी में रावी, ब्यास और सतलज का पानी शामिल था, लेकिन यमुना का नहीं। मैंने सुझाव दिया है कि उन्हें यमुना का पानी भी शामिल करना चाहिए और फिर इसे 60:40 के आधार पर विभाजित करना चाहिए।'
इसी दौरान सिंह ने कहा, 'आपको राष्ट्रीय सुरक्षा के नज़रिए से इस मुद्दे को देखना होगा। यदि आप सतलज यमुना लिंक के साथ आगे बढ़ने का फ़ैसला करते हैं तो पंजाब जल जाएगा और यह एक राष्ट्रीय समस्या बन जाएगा। हरियाणा और राजस्थान में भी इसका असर पड़ेगा।' हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने इस बैठक को सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण बताया है।
कुछ ऐसी ही बातें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कही है। उन्होंने कहा कि दोनों सीएम ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं और जल्द ही दूसरे दौर की वार्ता होगी।
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