सेना की अग्निपथ योजना पर देशभर में बहस और प्रदर्शन जारी है। कई राज्यों में तो प्रदर्शन के साथ हिंसा भी हो रही है। केंद्र सरकार की इस योजना की चर्चा पहले से तो थी लेकिन उसने इस योजना को पेश करने से पहले जनता से या बाकी राजनीतिक दलों से उनकी राय नहीं मांगी। सेना के कई बड़े पूर्व अधिकारी तक अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि इसके पक्ष में क्या कहा जा रहा है और इसके विरोध में क्या कहा जा रहा है-
समर्थन वाले क्या कहते हैं
- अगले 6-7 साल में सेना में औसत उम्र मौजूदा 32 से घटाकर 24-26 तक लाया जाएगा, ताकि सशस्त्र बलों को और चुस्त दुरुस्त बनाया जा सके।
- इसके जरिए भविष्य के युद्ध के लिए टेक्नॉलजी की ज्यादा समझ रखने वाले युवकों को शामिल किया जाएगा।
- अग्निपथ से निकले युवकों से नागरिक समाज और अनुशासित होगा और उससे उनका राष्ट्र निर्माण में भी योगदान होगा।
- इस योजना से सेना में बढ़ते वेतन और पेंशन बिलों में कमी आएगी। क्योंकि लंबे समय तक जवान सेवा में नहीं रहेगा तो सरकार की पेंशन देने या वेतन बढ़ाने की जिम्मेदारी भी नहीं होगी।
- तीनों सेनाओं को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस करने के लिए और पैसा मिलेगा। क्योंकि पेंशन न देने और सैलरी न बढ़ने पर पैसे की काफी बचत होगी। उसी पैसे को सेना के आधुनिकीकरण पर खर्च किया जा सकेगा।
- अग्निपथ जैसी स्कीम का कई देशों में इस्तेमाल किया गया है। उन देशों में इसके बेहतर नतीजे आए हैं। चार साल की ट्रेनिंग के बाद सबसे अच्छा अभ्यास माना जाता है।
विरोध करने वाले क्या कहते हैं
- सरकार ने किसी पायलट प्रोजेक्ट के साथ इस योजना का परीक्षण क्यों नहीं किया।
- सेना प्रोफेशनलिज्म से दूर हो जाएगी। समाज में सेना का सम्मान घटेगा और इससे दुश्मन से लड़ाई की भावना कमजोर होगी।
- तीनों सेनाओं में पूरी तरह से प्रशिक्षित युद्ध के लिए तैयार सैनिक बनने में 7-8 साल लगते हैं।
- अग्निपथ योजना में भाग लेने वाले युवक उन जोखिमों से दूर रहेंगे जो तीनों सेनाओं की लंबी ट्रेनिंग के बाद जोखिम लेने को तैयार रहते हैं। भर्ती होने के साथ ही वे चार साल बाद के करियर की तलाश में होंगे।
- किसी भी बटैलियन के जवान 'नाम, नमक और निशान' (बटालियन की प्रतिष्ठा, निष्ठा और झंडे) के लड़ते हैं। लेकिन चार साल बाद उनसे वो चीज दूर हो जाएगी। उनकी निष्ठा किसके प्रति होगी।
- लगभग 35,000 युद्ध-प्रशिक्षित युवा हर साल जब बेरोजगार होंगे तो समाज में बड़े पैमाने पर सैन्य बेरोजगार होंगे। इससे समाज में तमाम तरह के असंतुलन और संकट पैदा होंगे।
क्या है योजना
योजना घोषित होने के बाद से ही तमाम विशेषज्ञ और जाने-माने लोग तमाम नजरिए से इस योजना को लेकर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह का ने कहा है कि बाद में इन युवकों को अन्य बलों में खपाया जाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जब मंगलवार को इस योजना की घोषणा की तो सेना के तीनों अंगों के चीफ प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे। उन्होंने योजना का स्वागत करने में देर नहीं लगाई। लेकिन जब पूरी योजना सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंची तो इसकी तारीफ के साथ आलोचना भी शुरू हो गई। देश के कई राज्यों में युवा इसका जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। कई जगह हिंसा की घटनाएं हुई हैं।
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