अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव और देश के दो-तिहाई हिस्से पर क़ब्ज़े के दावे के बीच भारत ने कंधार स्थित वाणिज्य दूतावास खाली कर दिया है। सरकार ने राजनयिकों और दूसरे कर्मचारियों समेत 50 लोगों को वापस बुला लिया है।
कंधार का वाणिज्य दूतावास अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है। भारतीय वायु सेना का विशेष विमान सभी कर्मचारियों को लेकर भारत पहुँच चुका है।
इसके पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह अफ़ग़ानिस्तान के राजनीतिक घटनाक्रम पर लगातार नज़र रखे हुए है।
तालिबान के बढ़ते कदम
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसके पहले कहा था कि 'हमारी प्रतिक्रिया ज़मीनी स्थितियों के मुताबिक़ ही होगी।'
इसके पहले काबुल स्थित भारतीय दूतावास ने कहा था कि कंधार या मज़ार-ए-शरीफ़ के वाणिज्य दूतावासों को बंद नहीं किया जाएगा, पर बदलती हुई स्थिति में कंधार कार्यालय अस्थायी तौर पर ही सही, बंद कर दिया गया है।
लगभग सारे अमेरिकी सैनिक वापस लौट चुके हैं, बचे-खुचे सैनिक 30 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान छोड़ देंगे। उसके बाद सिर्फ 650 अमेरिकी सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में रहेंगे जो अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए तैनात होंगे।
तालिबान का दावा
दूसरी ओर, तालिबान ने दावा किया है कि उसने देश के दो-तिहाई हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया है और जब चाहे तब राजधानी काबुल पर भी क़ब्जा कर ले सकता है, पर उसकी फ़िलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।
तालिबान के लड़ाके देश के हर हिस्से में तेज़ी से आगे बढ़ते जा रहे हैं, अफ़ग़ान सेना उनका सामना करने में बुरी तरह नाकाम है।
इसे इससे समझा जा सकता है कि ताज़िकिस्तान सीमा से सटे इलाक़े में लड़ाई के बाद अफ़ग़ान सैनिक जान बचाने के लिए भाग कर ताज़िकिस्तान चले गए।
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भारत की चिंता
ताज़िकिस्तान और ईरान से सटे इलाक़ों पर तालिबान ने पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया है और वहाँ से अफ़ग़ान सेना को खदेड़ दिया है।
ये बातें भारत को परेशान करने वाली इसलिए हैं कि वह अफ़ग़ानिस्तान की सरकार का समर्थन कर रहा है। तालिबान से उसकी अघोषित व अनौपचारिक बातचीत हुई है, तालिबान ने भारतीय हितों पर चोट नहीं करने का आश्वासन दिया है, पर उन पर भरोसा करना मुश्किल है।
भारत को वाणिज्य दूतावास उस अफ़ग़ानिस्तान में बंद करना पड़ा है, जहाँ उसने तीन अरब डॉलर से ज़्यादा का निवेश किया है और उसके कर्मचारी तालिबान हमलों में मारे गए हैं।
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