अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ आर्थिक धोखाधड़ी मामले की जांच को लेकर विपक्ष ने आज सोमवार 6 फरवरी को संसद में जबरदस्त नारेबाजी की और संसद कैंपस में गांधी मूर्ति के नीचे धरना दिया। अडानी के मुद्दे पर सरकार की साख दांव पर लग गई है। आरबीआई द्वारा मामले की जांच, सेबी की सफाई, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जवाब विपक्ष को संतुष्ट करने में नाकाम रहा है।
दो दिन के बाद आज सोमवार को संसद की कार्यवाही जब शुरू हुई तो स्पीकर (लोकसभा) और उपसभापति (राज्यसभा) के दफ्तर पर विपक्षी दलों के सांसदों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के नोटिस पहुंच चुके थे। संसद जैसे ही शुरू हुई विपक्षी दलों ने पहले चर्चा कराने की मांग की और स्पीकर के आदेशों का जोरदार विरोध किया। स्पीकर ने मना किया तो नारेबाजी शुरू हो गई। इसके बाद संसद के दोनों सदनों को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
इसके बाद विपक्षी सांसद संसद परिसर में धरने पर जाकर बैठ गए। इनके हाथों में तख्तियां थीं,जिन पर लिखा था - एलआईसी बचाओ, एसबीआई बचाओ। कुछ तख्तियों पर लिखा था- मोदी जी की यही कहानी, देश लूट रहा अडानी।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में सोमवार को संसद भवन में बैठक के बाद विपक्षी दलों ने अडानी समूह की कंपनियों पर अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर चर्चा की मांग उठाने का फैसला किया था।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह के शेयरों में हालिया मंदी एक घोटाला है जिसमें आम लोगों का पैसा शामिल है, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के एलआईसी और एसबीआई ने उनमें निवेश किया है। अडानी समूह ने कहा है कि वह सभी कानूनों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन करता है।
विपक्ष की रणनीति तैयार करने के लिए खड़गे के कक्ष में मौजूद दलों में कांग्रेस, एमके स्टालिन की डीएमके, शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी, के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति, नीतीश कुमार की जेडीयू, समाजवादी पार्टी, माकपा, भाकपा, केरल कांग्रेस (जोस मणि), झामुमो, रालोद, आरएसपी, आप, आईयूएमएल, राजद और शिवसेना के सांसद मौजूद थे।
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