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गौतम अडानी

अडानी घूस कांडः किन-किन देशों में कारोबार दांव पर लगा

भारतीय कारोबारी गौतम अडानी और सात सहयोगियों पर भारत सरकार के अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (2,029 करोड़ रुपये) रिश्वत देने का आरोप लगाने के बाद अडानी समूह अमेरिका में जांच के दायरे में है। अमेरिका की सबसे बड़ी जांच एजेंसी एफबीआई ने अडानी के खिलाफ तमाम तथ्यों की जानकारी अमेरिका की फेडरल कोर्ट को दी है। पिछले सप्ताह सार्वजनिक हुए आरोपों के कारण कई देशों को अडानी समूह के साथ सौदों पर दोबारा विचार करना पड़ रहा या उन्हें रद्द करना पड़ा है।

अडानी समूह ने आरोपों से इनकार किया और उन्हें 'निराधार' बताया है। उसने कहा कि वो कानूनी मदद लेंगे। यहां यह बताना जरूरी है कि अडानी समूह की ग्लोबल डील बहुत तेजी से हुई। एफबीआई ने अडानी समूह के खिलाफ एक साल पहले जांच शुरू की थी।

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अडानी के ग्लोबल प्रोजेक्ट

अडानी समूह की ग्लोबल परियोजनाओं की वजह से उसका अंतर्राष्ट्रीय पोर्टफोलियो व्यापक है और इसमें एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की परियोजनाएँ शामिल हैं।

  • इसराइल: अडानी समूह के पास हाइफ़ा पोर्ट में 70% हिस्सेदारी है, जो देश की वार्षिक कार्गो मात्रा में 3% का योगदान देता है। इसराइल में पीएम बेंजामिन नेतन्याहू खुद करप्शन के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसराइल ने अडानी डिफेंस से भी करार किया है। इसराइल ने अभी कुछ नहीं कहा है लेकिन नेतन्याहू के हटने पर उनके समय के सभी समझौतों की जांच हो सकती है। भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी नेतन्याहू को अपना दोस्त बताते रहे हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया: कारमाइकल कोयला खदान को लेकर अडानी समूह विवादों में हैं। वहां प्रदर्शन भी हुए हैं। कार्यस्थल पर नस्लवाद और सीमित उत्पादन क्षमता के आरोपों सहित परिचालन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • तंजानिया: 39.5 मिलियन डॉलर की साझेदारी का लक्ष्य पूर्वी अफ्रीकी बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करना है। केन्या की घोषणा के बाद अभी तक तंजानिया ने कोई बयान नहीं जारी किया है।
  • वियतनाम: अडानी समूह ने हवाई अड्डों और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 3 बिलियन डॉलर देने का वादा किया है। वियतनाम ने भी अडानी घूस कांड सामने आने के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

केन्या की पहल

अमेरिका में मामला सार्वजनिक होते ही सबसे पहले केन्या ने अडानी समूह के साथ दो परियोजनाओं को रद्द करने के लिए तेजी से कदम उठाया। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति विलियम रूटो ने गुरुवार को कहा था कि एक खरीद प्रक्रिया जिसके तहत देश के मुख्य हवाई अड्डे का नियंत्रण अडानी समूह को सौंपा जाने वाला था, उसे रद्द कर दिया गया है। यहां बताना जरूरी है कि अडानी समूह ने सबसे पहले भारत के तमाम हवाई अड्डों का संचालन अपने हाथ में ले लिया। मोदी सरकार एक-एक कर तमाम एयरपोर्टों का ऑपरेशन अडानी समूह को सौंपती गई। हां, इसके लिए पूरी सरकारी प्रक्रिया का पालन किया गया। लेकिन अडानी इस समय एयरपोर्ट के कारोबार में एकाधिकार वाला समूह बन गया है।

रुटो ने संसद से अपने देश को संबोधित करते हुए कहा, "मैंने परिवहन मंत्रालय और ऊर्जा और पेट्रोलियम मंत्रालय के भीतर एजेंसियों को चल रही खरीद को तुरंत रद्द करने का निर्देश दिया है।" उन्होंने इस निर्णय के लिए "यूएस जांच एजेंसियों और भागीदार देशों द्वारा दी गई नई जानकारी" को वजह बताई। ".
केन्या में अडानी समूह को सिर्फ एयरपोर्ट संचालन नहीं मिलने वाला था। इसके अतिरिक्त, बिजली ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए ऊर्जा मंत्रालय के साथ 30-वर्षीय, 736 मिलियन डॉलर की सार्वजनिक-निजी भागीदारी समझौते को रद्द कर दिया गया। दोनों रद्दीकरण सीधे तौर पर अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों से जुड़े हैं। यानी केन्या में भी कथित तौर पर रिश्वत देकर ठेके प्राप्त किए गए। वहां के विपक्षी दलों ने इस मामले को उठाया था।

अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस ने शनिवार को अपनी सफाई में कहा कि केन्या द्वारा 736 मिलियन डॉलर की ट्रांसमिशन लाइन परियोजना को रद्द करने के लिए उसे भारतीय स्टॉक एक्सचेंज नियमों के तहत कोई खुलासा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह उसके व्यवसाय के लिए सामान्य बात है।

फ्रांस की टोटल एनर्जी ने किनारा किया

फ्रांस की सबसे बड़ी पावर कंपनी टोटल एनर्जी, जिसके पास अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) में 20% हिस्सेदारी है, ने अडानी से संबंधित किसी भी कारोबार में किसी भी नई फंडिंग या निवेश को रोक दिया है। कंपनी ने कहा, "जब तक अडानी समूह के व्यक्तियों के खिलाफ आरोप और उनके नतीजे साफ नहीं हो जाते, टोटल एनर्जी अडानी समूह की कंपनियों में अपने निवेश के हिस्से के रूप में कोई नई फंडिंग नहीं करेगा।"

हालांकि, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने टोटल एनर्जी के दावों को खारिज कर दिया कि टोटल एनर्जी के फैसले से उसकी विकास योजनाओं पर असर पड़ेगा, और कहा कि फ्रांसीसी कंपनी के साथ किसी वित्तीय लेनदेन पर चर्चा नहीं चल रही है।

श्रीलंका में जांचः यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी), जिसने कोलंबो में अडानी समर्थित पोर्ट टर्मिनल परियोजना के लिए $553 मिलियन का वादा किया था, हालिया आरोपों के बाद आगे की जांच शुरू कर दी है। यानी यह डील भी लटक सकती है। अडानी घूसखोरी का मामला सामने आने के बाद ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया- डीएफसी के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि अभी तक कोई पैसा अडानी समूह को नहीं दिया गया है और लोन समझौता वित्तीय समापन तक नहीं पहुंचा है। यानी इससे पहले कि अडानी को डीएफसी पैसा देता, मामला सामने आने के बाद उसने डील को रोक दिया है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, श्रीलंका अडानी समूह से जुड़ी नियोजित पवन ऊर्जा (विंड पावर) परियोजनाओं की समीक्षा कर रहा है। सरकार प्रस्तावों की वित्तीय स्थिति और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कर रही है, आने वाले हफ्तों में कैबिनेट चर्चा की उम्मीद है।

बांग्लादेश में सभी सौदों की समीक्षा

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पिछले शासन के तहत किए गए ऊर्जा समझौतों की जांच के लिए एक समीक्षा समिति का गठन किया है, जिसमें अडानी पावर के गोड्डा कोयला आधारित संयंत्र से जुड़ा सौदा भी शामिल है। समिति ने इन समझौतों की शर्तों और दीर्घकालिक स्थिति के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए, इन समझौतों की जांच के लिए एक कानूनी और जांच एजेंसी को शामिल करने की सिफारिश की है।

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भारत में भी मुसीबत

भारत में, आंध्र प्रदेश अडानी समूह के साथ अपने बिजली आपूर्ति अनुबंध पर फिर से विचार कर रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी यह निर्धारित करने के लिए दस्तावेजों की समीक्षा कर रहे हैं कि क्या राज्य समूह के साथ अपने समझौते रद्द कर सकता है। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने अडानी फाउंडेशन से मिले 100 करोड़ रुपये का डोनेशन वापस कर दिया है। तेलंगाना में अडानी समूह के साथ जो कारोबारी समझौते हुए थे, उनक पर विचार हो रहा है। अडानी समूह की कंपनी को मुंबई में धारावी झोपड़ पट्टी इलाके को विकसित करने की बहुत बड़ी परियोजना हासिल हुई है। जिसमें बेशकीमती जमीनें भी अडानी समूह के पास आ गई हैं। लेकिन इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अडानी समूह को पैसा बाजार से जुटाना पड़ेगा। क्या अब अडानी की साख ऐसी रह गई है कि निवेशक और उनकी कंपनियां पैसा देंगे।

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क़मर वहीद नक़वी
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