जेएनयू के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार और दूसरे लोगों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा चलाने की अनुमति दिल्ली सरकार ने दे दी है। कन्हैया और दूसरे लोगों पर फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में हुए एक कार्यक्रम में देशद्रोही नारे लगाने का आरोप है। इस फ़ैसले पर कन्हैया कुमार ने कहा है कि राजद्रोह के क़ानून से उनपर इसलिए निशाना साधा जा रहा है क्योंकि बिहार में इस साल चुनाव होने हैं। उन्होंने केजरीवाल सरकार के फ़ैसले पर कुछ भी बोलने से इनकार किया और इतना ही कहा कि वह इस मामले में सिर्फ़ जल्दी सुनवाई चाहते हैं।
दिल्ली पुलिस प्रमुख ने बीते हफ़्ते दिल्ली सरकार को चिट्ठी लिख कर एक बार फिर अनुमति माँगी थी। इसके बाद केजरीवाल सरकार ने पुलिस को इसकी अनुमति दी है। दिल्ली सरकार के पास अनुमति का आवेदन 14 जनवरी, 2019 से ही पड़ा हुआ है।
कन्हैया ने इस पूरे मामले में टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया। 'एनडीटीवी' से उन्होंने कहा, 'जब मैं लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था तो चार्जशीट दाखिल की गई और अब बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी कर रहा हूँ। देश को यह जानना चाहिए कि कैसे राजद्रोह क़ानून का राजनीतिक फ़ायदे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। दविंदर सिंह के ख़िलाफ़ कोई राजद्रोह का केस नहीं है...' बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस में अफ़सर रहे दविंदर सिंह हाल में अपनी गाड़ी में हिजबुल आतंकियों के साथ पकड़े गए थे।
2016 में कन्हैया कुमार अचानक तब सुर्ख़ियों में आ गए थे जब एक टीवी चैनल पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का एक वीडियो चलने लगा। इस वीडियो में यह दिखाया गया था कि कश्मीरी आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु को फाँसी दिए जाने के ख़िलाफ़ कैंपस में कुछ लोग इकट्ठे हुए थे और वे ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे नारे लगा रहे थे।
क्या है मामला?
यह जानने का प्रयास नहीं किया गया कि कहीं वीडियो के साथ छेड़छाड़ तो नहीं की गयी है। पुलिस बार-बार कहती रही कि उसके पास पुख़्ता सबूत हैं।
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