किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद आज यानी 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है। किसानों ने फिर कहा है कि सरकार इन कृषि क़ानूनों को तुरंत रद्द करे, वरना उनका आंदोलन बढ़ता जाएगा।
रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में किसान नेता बलदेव सिंह निहालगढ़ ने कहा कि आंदोलन के दौरान एंबुलेस को जाने दिया जाएगा और शादियों को भी नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि दिन में 3 बजे तक चक्का जाम रहेगा।
राजनीतिक दल समर्थन में उतरे
कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, एसपी, एनसीपी, शिव सेना, जेएमएम, टीआरएस, सीपीआई, सीपीआई(एम), ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक सहित कई विपक्षी दलों के इस आंदोलन को समर्थन देने के कारण माना जा रहा है कि भारत बंद सफल रहेगा। लेकिन दूसरी ओर बीजेपी समर्थकों ने बंद का पूरी तरह विरोध किया है। किसानों को विदेशों से भी जोरदार समर्थन मिल रहा है।
किसानों को समर्थन देने सिंघू बॉर्डर पहुंचे बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार नए कृषि क़ानूनों को वापस नहीं लेती है तो वह राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड को वापस कर देंगे।
किसान नेताओं ने कहा है कि 8 तारीख़ को किसान दिल्ली की सभी सड़कों को जाम कर देंगे और देश भर में हाईवे पर पड़ने वाले सभी टोल पर भी कब्जा कर लेंगे और सरकार को टोल नहीं लेने देंगे। शनिवार को कई जगह पर भारत सरकार और कॉरपोरेट घरानों का पुतला दहन किया गया।
किसानों का कड़ा रूख़
इससे पहले किसानों और केंद्र सरकार के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को कई घंटों तक चली बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही थी और 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान नेता और सरकार आमने-सामने बैठेंगे। केंद्र सरकार अब कृषि क़ानूनों में संशोधन के लिए भी तैयार दिख रही है। लेकिन किसानों का साफ कहना है कि उन्हें इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है।
इसके अलावा किसानों की यह भी मांग है कि एमएसपी पर क़ानून बनाया जाए, पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश और बिजली बिल 2020 को भी वापस लिया जाए। बैठक में किसान संगठनों के नेताओं के अलावा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश और कृषि महकमे के आला अफ़सर मौजूद रहे।
सरकार ने मांगा वक़्त
शनिवार को हुई बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए और वक़्त मांगा है। किसानों ने सरकार से कहा कि वह हां या ना में जवाब दे कि वह इन क़ानूनों को रद्द करेगी या नहीं। एएनआई के मुताबिक़, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसान नेताओं से अपील की थी कि वे बच्चों और बुजुर्गों से धरना स्थल से घर जाने के लिए कहें।
बढ़ता जा रहा जमावड़ा
दिल्ली-हरियाणा की सीमा से लगने वाले टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। हरियाणा और पंजाब से तो किसान और खाप पंचायतें लगातार बॉर्डर पर जुट ही रही हैं, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों से किसानों का आना जारी है। दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में किसान कई दिनों से धरने पर बैठे हैं। इस वजह से ख़ासा जाम लग रहा है और आम लोगों को परेशानी हो रही है।
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माथापच्ची में जुटी सरकार
नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने पर अड़े किसानों को किस तरह समझाया जाए, यह मोदी सरकार और बीजेपी दोनों को नहीं सूझ रहा है। सरकार और बीजेपी सगंठन के बीच बीते दिनों में कई बार इस मुद्दे पर बैठक हो चुकी है। शनिवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर बैठक बुलाई।
बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद रहे। सरकार इस बात से परेशान है कि किसानों ने दिल्ली को घेर लिया है और 8 दिसंबर को भारत बंद का एलान कर दिया है।
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हटाने की मांग
किसानों को दिल्ली के बॉर्डर्स से तुरंत हटाने की मांग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। याचिका में अदालत से मांग की गई है कि वह संबंधित संस्थाओं को निर्देश दे कि वे सड़कों को खोलें और प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाकर दी गई जगह पर शिफ़्ट करें।
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