जिन सीटों पर उपचुनाव को विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के बीच पहली परीक्षा बताया जा रहा है, उसके नतीजे आने लगे हैं। त्रिपुरा में बीजेपी ने दोनों सीटों पर आसानी से जीत दर्ज की है। केरल के पुथुप्पल्ली में कांग्रेस के उम्मीदवार चांडी ओमन ने जीत हासिल की है। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के घोसी विधानसभा क्षेत्र में बड़ी बढ़त बना ली है जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पीछे चल रही है। उत्तराखंड के बागेश्वर में बीजेपी ने जीत दर्ज की है। जबकि पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया है।
इस चुनाव को दोनों गठबंधनों के लिए अहम माना जा रहा है क्योंकि अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और फिर अगले साल लोकसभा चुनाव। झारखंड के डुमरी, केरल के पुथुपल्ली, त्रिपुरा के बॉक्सानगर और धनपुर, उत्तराखंड के बागेश्वर, उत्तर प्रदेश के घोसी और पश्चिम बंगाल के धुपगुड़ी में 5 सितंबर को उपचुनाव हुए थे। पांच सीटों पर मौजूदा विधायकों के निधन की वजह से उपचुनाव की ज़रूरत थी, जबकि दो अन्य विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
'इंडिया' के घटक दलों ने घोसी में समाजवादी पार्टी और डुमरी में झामुमो तथा धनपुर और बॉक्सनगर में सीपीआई (एम) के उम्मीदवार उतारे हैं। इस बीच, बंगाल की धूपगुड़ी और केरल की पुथुपल्ली सीटों पर उपचुनाव में इंडिया गठबंधन सहयोगियों के बीच ही मुकाबला होगा, जबकि बागेश्वर में बीजेपी का कांग्रेस से सीधा मुकाबला है। दिलचस्प बात यह है कि बागेश्वर में इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस की सहयोगी होने के बावजूद सपा ने भी एक उम्मीदवार खड़ा किया है।
यूपी की घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को इंडिया और एनडीए की पहली लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा और सपा के बीच यहां कांटे की टक्कर है। घोसी विधानसभा उपचुनाव सपा के दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के कारण जरूरी हो गया था, जो भाजपा में चले गए। ओबीसी नेता भाजपा में लौट आए और पार्टी ने उन्हें घोसी उपचुनाव लड़ने के लिए चुना। इस बार चौहान का मुकाबला सपा के सुधाकर सिंह से है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने चौहान के लिए प्रचार किया।
घोसी विधानसभा सीट पर मुस्लिमों के बाद सबसे ज्यादा तादाद में दलित 70000, राजभर 52000 और नोनिया चौहान 46000 हैं। सपा नेताओं का मानना है कि इस बार बसपा का प्रत्याशी न होने के चलते दलित मतों का एक बड़ा हिस्सा उसकी ओर आ रहा है। हालांकि ठीक यही दावा भाजपा का भी है जो बीएसपी प्रत्याशी न होने को अपने पक्ष में देख रही है। साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में दो ध्रुवीय मुकाबले के बावजूद बसपा प्रत्याशी को यहां 52000 से ज्यादा वोट मिले थे।
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