कुवैत की इमारत में आग लगने से मरने वाले 45 भारतीयों के शवों को लेकर भारतीय वायुसेना का विमान कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंच गया। मृतकों के शवों को तमिलनाडु और कर्नाटक सहित उनके पैतृक स्थानों पर ले जाया जाएगा। इसके बाद विमान अन्य राज्यों के मृतकों के शवों को लेकर दिल्ली के लिए रवाना होगा।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, कैबिनेट के सहयोगी और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी आधिकारिक प्रक्रियाओं और अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए हवाई अड्डे पर पहुँचे। इससे पहले, कोचीन हवाई अड्डे पर पुलिस और एम्बुलेंस की टीमें तैनात की गईं।
गुरुवार को कुवैत में अधिकारियों ने आग में मारे गए 45 भारतीयों और तीन फिलिपिनो नागरिकों के शवों की पहचान की। कुवैत ने घटना की तुरंत जांच करने संकल्प लिया है और पीड़ितों के शवों को वापस लाने में पूरी सहायता का आश्वासन दिया।
बुधवार को दक्षिणी शहर मंगाफ में सात मंजिला इमारत में लगी आग में कम से कम 49 विदेशी श्रमिकों की मौत हो गई और 50 अन्य घायल हो गए। वहाँ 196 प्रवासी श्रमिक रह रहे थे। कुवैत फायर फोर्स ने कहा कि आग बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। इसने एक बयान में कहा है कि घटनास्थल और उस इमारत की फील्ड जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया।
भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने गुरुवार को कुवैत आग की घटना में जीवित बचे लोगों और जांचकर्ताओं से मुलाकात की और शुरुआती जांच में गंभीर खामियां सामने आई हैं। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सात मंजिला इमारत के भूतल पर करीब दो दर्जन गैस सिलेंडर थे, कागज, कार्डबोर्ड और प्लास्टिक जैसी ज्वलनशील सामग्री को तंग कमरों में श्रमिकों को अलग करने के लिए विभाजन करने वाली दीवार के रूप में रखा गया था और छत पर बंद दरवाजे थे जिससे श्रमिक छत पर नहीं जा सके।
पीड़ितों में केरल के 23, तमिलनाडु के सात, उत्तर प्रदेश के तीन, ओडिशा के दो और बिहार, पंजाब, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड और हरियाणा के एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने गुरुवार को कहा था कि शव पहचान से परे जले हुए थे और पीड़ितों की पहचान की पुष्टि करने के लिए उनका डीएनए परीक्षण किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुखद घटना की समीक्षा की है और कुवैत में आग लगने से मरने वालों के लिए 2 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है। कुवैत में स्थानीय प्रशासन इस बात की भी जांच कर रहा है कि इमारत में 160 से ज़्यादा लोग कैसे रह रहे थे।
अपनी राय बतायें