कोयले के संकट को देखते हुए शुक्रवार को देशभर में 42 यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है कि कोयला ले जा रही ट्रेनें जल्दी से जल्दी स्टॉक लेकर संबंधित पावर प्लांट तक पहुंच सकें। बता दें कि कई राज्यों के पावर प्लांट में कोयले की कमी होने की खबरें सामने आई हैं और दिल्ली सरकार तो इस संबंध में केंद्र को पत्र भी लिख चुकी है।
हालात को देखते हुए रेलवे तमाम राज्यों के पावर प्लांट तक कोयला पहुंचाने के काम में जुट गया है।
रेलवे के अफसरों का कहना है कि ट्रेनों को रद्द किया जाना पूरी तरह अस्थाई कदम है और जैसे ही हालात सामान्य होंगे तो इन्हें फिर से चालू किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में कुछ ट्रेनों को रद्द करने का वहां के सांसदों ने विरोध किया था जिसके बाद उन्हें फिर से चालू किया गया है।
ब्लैक आउट का खतरा
कई राज्यों ने कोयले के खत्म होते स्टॉक को लेकर चिंता जताई है। दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन ने कहा है कि राजधानी को जिन पावर प्लांट से बिजली मिलती है उनमें 1 दिन से भी कम का कोयला बचा है जबकि उनके पास कम से कम 21 दिन का कोयला होना चाहिए। उन्होंने कहा है कि इस वजह से ब्लैक आउट हो सकता है और मेट्रो और अस्पतालों में बिजली की आपूर्ति बाधित हो सकती है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि इस समस्या से निपटने के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है।
भयंकर गर्मी के वक्त में अगर बिजली संकट पैदा हुआ तो निश्चित रूप से लोगों की मुश्किलों में इजाफा होगा। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन ने कहा है कि देश भर के थर्मल प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं और यह देश में बिजली संकट के आने का संकेत है।
ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, देश में बिजली की खपत बढ़ी है और अगले महीने इसमें 8 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है। निश्चित रूप से अगर कोई बड़े कदम नहीं उठाए गए तो हालात खराब हो सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर से लेकर बिहार, झारखंड, राजस्थान और आंध्र प्रदेश तक कई राज्यों में 2 से 8 घंटे के पावर कट लग रहे हैं और लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी विरोध भी जताया है।
अक्टूबर, 2021 में भी ऐसे ही हालात बने थे जब तमाम पावर प्लांट्स में कोयले की कमी होने की वजह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अहम बैठक करनी पड़ी थी।
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