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किसान आन्दोलन से जुड़ने दिल्ली पहुँच रही हैं 40 हज़ार महिलाएं

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के पास पिछले तीन महीने से चल रहे किसान आन्दोलन के प्रति एक बार फिर समर्थन बढ़ने लगा है और नए-नए लोग इससे जुड़ने लगे है। पंजाब के अलग-अलग इलाक़ों से तकरीबन 40 हज़ार महिलाएं इस आन्दोलन में भाग लेने के लिए आ रही हैं, वे ट्रैक्टरों, बसों और मिनी-बसों में बैठ कर अपने-अपने गाँवों से कूच कर चुकी हैं या करने वाली हैं। सोमवार तक बड़ी तादाद में उनके दिल्ली पहुँच कर मोर्चा संभालने की संभावना है। 

याद दिला दें कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के इलाक़ों में हज़ारों किसान डेरा डाले हुए हैं। वे इन क़ानूनों को रद्द करने की माँग कर रहे हैं, जिससे सरकार लगातार इनकार कर रही है। सरकार उनकी बातों पर विचार करने और उसके अनुसार क़ानूनों में संशोधन करने को तैयार है, पर वह किसी सूरत में इन क़ानूनों को वापस नहीं लेगी। दूसरी ओर, आन्दोलनकारी किसानों का कहना है कि उन्हें क़ानून रद्द करने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है। जिच बरक़रार है और हज़ारों किसान मोर्चा संभाले हुए हैं। 

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ट्रैक्टर से दिल्ली कूच

पंजाब के गाँवों से आ रही ये महिलाएं बड़ी तादाद में ट्रैक्टरों पर हैं, जो खुद चला रही हैं। बरनाला से आने वाले ट्रैक्टर महिलाएं ही चला रही हैं जबकि बठिंडा से आने वाले ट्रैक्टर पुरुष व महिलाएं, दोनों ही चला रहे हैं। 

भारतीय किसान यूनियन (धकौंदा) की महिला सेल की बलवीर कौर ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "बच्चों की परीक्षाओं के कारण कई महिलाएं व्यस्त हैं, उनमें से कई 9 मार्च को लौट जाएंगी, लेकिन बड़ी तादाद में दूसरी महिलाएं डटी रहेंगी।

भारतीय किसान यूनियन (अग्रहण) की महिला सेल सबसे बड़ी है। इसके महासचिव सुखदेव सिंह कोरीकलाँ ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा,

"ये महिलाएं 500 बसों, 600 मिनी-बसों, 115 ट्रकों और 200 दूसरी गाड़ियों में सवार होकर आ रही हैं। सोमवार को हज़ारों महिलाएँ टिकरी बॉर्डर पर पहुँच जाएंगी और धरने पर बैठ जाएंगी।"


सुखदेव सिंह कोरीकलाँ, महासचिव, भारतीय किसान यूनियन (अग्रहण)

उन्होंने कहा कि पुरुष उनके साथ होंगे, पर अपने तमाम कार्यक्रम महिलाएं ही संभालेंगी। सुखदेव सिंह कोरीकलाँ ने यह भी कहा कि "यह फ़ैसला किया जा चुका है कि किसी तरह की उत्तेजक या भड़काऊ बातें किसी को नहीं कहनी है, मूल मुद्दे से किसी भी सूरत में नहीं भटकने को कहा गया है।" 

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क़मर वहीद नक़वी
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