सलमान रुश्दी, ओरहन पामुक, मार्गरेट ऐटवुड जैसे 250 से ज़्यादा लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आतिश तासीर का ओवरसीज़ सिटिज़न ऑफ़ इंडिया यानी ओसीआई कार्ड रद्द करने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने इस मामले में दुबारा विचार करने और इस फ़ैसले को वापस लेने का आग्रह किया है।
हाल ही में गृह मंत्रालय ने कहा था कि तासीर ने ओसीआई कार्ड के लिए दिए आवेदन में यह जानकारी छुपाई थी कि उनके पिता पाकिस्तानी मूल के हैं और इसी आधार पर उनका ओसीआई कार्ड रद्द किया गया है। तासीर ने आरोप लगाया था कि इस मामले में उन्हें सफ़ाई देने का समय नहीं दिया गया। लेकिन गृह मंत्रालय ने उनके इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया और दावा किया कि उन्हें इसके लिए पूरा मौक़ा दिया गया था। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘टाइम’ मैगज़ीन में ‘डिवाइडर इन चीफ़’ नाम से आतिश तासीर ने लेख लिखा था। माना जाता है कि इससे बीजेपी में नाराज़गी थी।
इन लेखकों और कार्यकर्ताओं की इस चिट्ठी में इस साल मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखे गए आतिश तासीर के उस लेख का भी ज़िक्र है, जिसका शीर्षक था ‘इंडियाज़ डिवाइडर इन चीफ़’। चिट्ठी में कहा गया है कि इस पर ‘भारत सरकार की तरफ़ से एक आधिकारिक शिकायत आई और ऑनलाइन उनको उत्पीड़न सहना पड़ा।’ पत्र में कहा गया है कि हम इस बात से बेहद चिंतित हैं कि तासीर को उनके लेखन और रिपोर्टिंग के कारण बेहद व्यक्तिगत प्रतिशोध के तहत निशाने पर लिया गया है जो कि भारत सरकार के प्रति आलोचनात्मक रहे हैं।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में अनिता देसाई, किरण देसाई, चिमामांडा अदिची, तहमीमा अनम, होमी के भाभा, मिया फैरो, अमिताभ घोष, मोहसिन हामिद, क्रिस्टोफ़र जाफ़रेलो, झुम्पा लाहिड़ी, सुकेतु मेहता, सरोवर ज़ैदी, जीनत थायत, जेत ठाकुर, ग्लोरिया स्टेनम, एलिफ शफाक और अन्य शामिल हैं।
पत्र पर दस्तख़त करने वालों ने लिखा है, ‘हम, लेखक, पत्रकार, रचनात्मक कलाकार, शिक्षाविद और कार्यकर्ता, भारत सरकार के हालिया फ़ैसले के बारे में लेखक और पत्रकार आतिश तासीर की भारत की प्रवासी नागरिकता को रद्द करने के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। हम यह PEN (पोएट्स, एसेइस्ट्स, नॉवलिस्ट्स) अमेरिका, इंग्लैंड PEN और PEN इंटरनेशनल में शामिल होने के लिए लिख रहे हैं।’ बता दें कि अमेरिका और दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा के लिए 'PEN अमेरिका' साहित्य और मानवाधिकारों की पैरवी करता रहा है। इंग्लैंड PEN और PEN इंटरनेशनल भी ऐसे ही प्रयासों में लगा रहता है।
पत्र में माँग की गई है कि हम सम्मानपूर्वक निवेदन करते हैं कि भारत सरकार इस निर्णय की समीक्षा करे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आतिश तासीर बचपन के घर और परिवार तक जा सकें और यह भी कि अन्य लेखकों को भी उसी तरह से टार्गेट नहीं किया जाए।
हाल के दिनों में आतिश तासीर ‘टाइम’ मैगज़ीन में ‘इंडियाज़ डिवाइडर इन चीफ़’ नाम से लिखे गए लेख के कारण चर्चा में रहे थे। अमेरिका की टाइम मैगज़ीन ने मई अंक के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कवर स्टोरी की थी। मैगज़ीन के कवर पर नरेंद्र मोदी की तसवीर थी और साथ में लिखा था- ‘इंडियाज़ डिवाइडर इन चीफ़’। इस मैगज़ीन की वेबसाइट पर जो स्टोरी प्रकाशित की गई उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री बनने का ज़िक्र है। 2014 में उनकी जीत को 30 सालों में सबसे बड़ी जीत बताया गया है और उसके बाद उनके पाँच साल के कार्यकाल का ज़िक्र है। आतिश तासीर के इस लेख की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें बेरोज़गारी, गाय, लिंचिंग, नोटबंदी, जीएसटी जैसे हर उस मुद्दे को छुआ गया है जो बीते 5 सालों में सरकार की कार्यप्रणाली से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े थे।
इस पूरे मामले पर विवाद हो गया था। एक ओर जहाँ कुछ लोगों का कहना था कि मैगज़ीन ने बिल्कुल सही लिखा है वहीं कुछ लोग इसे मोदी की लोकप्रियता से भी जोड़कर देख रहे थे। कुछ लोगों का मानना था कि लेख एक प्रोपेगेंडा के तहत लिखा गया और इसका उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्री की छवि को धूमिल करना था। माना जा रहा था कि राजनीतिक गलियारे में भी इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।
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