सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय दिया है। प्रवासी मजदूरों के संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कोर्ट ने कहा, ‘सभी राज्यों को अदालत को यह बताना होगा कि वे श्रमिकों को किस तरह रोज़गार व दूसरी तरह की मदद दे सकते हैं।’ अदालत ने कहा कि वे प्रवासी जो अपने राज्यों में वापस जाना चाहते हैं उनका रजिस्ट्रेशन भी किया जाना चाहिए।
इंडिया टुडे के मुताबिक़, सीनियर एडवोकेट कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि रजिस्ट्रेशन सिस्टम काम नहीं कर रहा है और इस वजह से आधे श्रमिक घर जाने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहे हैं।
कोर्ट ने पूछा कि इसका क्या समाधान है। इस पर गोंजाल्विस ने कहा कि पुलिस स्टेशन और कुछ दूसरी जगहों पर इसकी व्यवस्था की जा सकती है कि मजदूर वहां जाएं और अपने रजिस्ट्रेशन फ़ॉर्म भर सकें।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रेलवे ने 3 जून तक 4,228 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई हैं और 57 लाख लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया है। इसके अलावा 41 लाख लोग सड़क मार्ग से अपने घर जा चुके हैं।
पिछले हफ़्ते शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि प्रवासी मजदूरों से बसों और ट्रेनों का किराया नहीं लिया जाएगा। अदालत ने कहा था कि यह किराया राज्यों को देना होगा। कोर्ट ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों की संख्या और उनके लिए किए गए इंतजामों के बारे में बताने के लिए भी कहा था।
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