सरकार के तमाम दावों के बावजूद कोरोना टीका के लिए ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन निहायत ही कम हुआ है। हालांकि सरकार ने गाँव के लोगों की मदद के लिए कॉमन सर्विस सेंटर बनाए जहाँ इच्छुक लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
लेकिन अब सरकार खुद मान रही है कि सिर्फ 0.5 प्रतिशत लोगों ने ही इन केंद्रों की मदद से कोरोना वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया है।
28.5 करोड़ लोगों का टीकाकरण
'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, 12 जून तक 28.5 करोड़ लोगों ने कोरोना टीका के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया, इसमें से सिर्फ 14.25 लाख लोगों ने तीन लाख कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया।
हालांकि पहले की तुलना में अब रजिस्ट्रेशन ज़्यादा लोग करवा रहे हैं, पर अभी भी शहरी और ग्रामीण इलाक़ों के बीच बहुत बड़ा अंतर बचा हुआ है।
'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक़, 11 मई तक 54,460 कॉमन सर्विस सेंटर सक्रिय थे और उनकी मदद से 1.7 लाख लोगों ने कोरोना वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। उस समय तक 17 करोड़ लोगों का टीकाकरण हुआ था।
अफ़वाहें
अख़बार ने हरियाणा में सक्रिय एक सीएससी के हवाले से कहा है कि वहां लोगों से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कहने पर वे पूछते हैं कि क्या टीका उपलब्ध है और फिर कहते हैं कि जब टीका आ जाएगा तो वे रजिस्ट्रेशन करवाने आएंगे।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के एक सीएससी पर काम कर रहे व्यक्ति ने कहा कि गाँवों में कोरोना टीका के लिए लोगों को राजी कराना अब भी मुश्किल काम है, कई तरह की अफ़वाहें फैला दी गई हैं जिससे लोग टीका से बच रहे है। उस व्यक्ति ने यह भी कहा कि लोगों को यह कैसे समझाया जाए कि कोरोना टीका लगवाने से नंपुसक होने का ख़तरा नहीं है।
कोरोना टीकाकरण का गाँवों में बुरा हाल है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा व नगर हवेली, दमन दीव, लद्दाख जैसे जगहों पर तो बहुत ही बुरा हाल है।
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गोवा, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम और नागालैंड जैसे छोटे राज्यों में इन सेवा केंद्रो के जरिए क्रमश: 165, 1165, 1350 और 1258 लोगों ने कोरोना वैक्सीन के लिए कोविन वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण करवाया है।
इन राज्यों में क्रमश: 6.57, 5.43, 5.16, 3.57 और 3.48 लाख लोगों का टीकाकरण किया गया है।
ज़ाहिर है, इन राज्यों में भी ग्रामीण इलाक़ों में बहुत ही कम लोगों ने टीकाकरण करवाया है।
क्या कहना है सरकार का?
बता दें कि पहले सरकार ने कोविन वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था, बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा कि गाँवों के लोगों को इससे दिक्क़त होगी और वे छूट जाएंग तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया।
अदालत के आदेश के बाद सरकार ने कोविन पर रजिस्ट्रेशन के अलावा कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का इंतजाम किया।
लेकिन स्थिति वही है, ढाक के तीन पात।
योगी सरकार के दावे
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कोरोना टीकाकरण के माममले में बड़े-बड़े दावे करने में पीछे नहीं है। लेकिन उसके ये दावे ज़मीनी हक़ीक़त से बेहद दूर हैं। भारत में टीकाकरण शुरू हुए 144 दिन (9 जून तक) हो चुके हैं जबकि 18 से 45 साल वालों का टीकाकरण 1 जून से शुरू हुआ था।
इस हिसाब से इस वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हुए 40 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन उत्तर प्रदेश उन राज्यों में शामिल है जहां अब तक 15 फ़ीसदी से कम लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगी है। ऐसे ही हाल बिहार और तमिलनाडु के भी हैं।
आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश तो उन राज्यों में शामिल है, जहां 15 फ़ीसदी से भी कम लोगों को कोरोना की पहली डोज़ लगी है, ऐसे में किस तरह का प्रबंधन योगी सरकार ने किया है, यह समझना मुश्किल है।
केंद्र सरकार ने कहा है कि वो दिसंबर के आख़िर तक देश में सभी लोगों का टीकाकरण कर देगी। इस दावे पर पहला सवाल तो टीके की उपलब्धता का है क्योंकि कई राज्यों में टीकों की किल्लत को देखते हुए दिसंबर तक 106 करोड़ लोगों को दोनों डोज़ लगाना संभव नहीं दिखता।
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9 गुना रफ़्तार से करना होगा काम
टीओआई के मुताबिक़, उत्तर प्रदेश में हर दिन 1.4 लाख डोज़ लगाई जा रही हैं और इस हिसाब से दिसंबर तक सभी व्यस्कों का टीकाकरण करने के लिए हर दिन 13.2 लाख डोज़ लगानी होंगी। यानी प्रदेश सरकार जिस रफ़्तार से अभी काम कर रही है, उसे 9 गुना ज़्यादा रफ़्तार के साथ काम करना होगा।
उत्तर प्रदेश में अभी तक सिर्फ़ 2.5% लोगों को वैक्सीन की दो डोज़ लगी हैं। यानी इतने ही लोगों का टीकाकरण पूरा हो सका है। इसका मतलब साफ है कि कोरोना के टीकाकरण में सरकार पीछे है लेकिन वह बता रही है कि वह तेज़ रफ़्तार से टीकाकरण कर रही है, जो कि सच नहीं है।
9 जून की शाम 5 बजे तक भारत में 19.19 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ लग चुकी थी जबकि पहली और दूसरी डोज़ लगवाने वाले कुल लोगों की तादाद 24 करोड़ से ज़्यादा है। सिर्फ़ 3 फ़ीसद लोग ऐसे हैं जिन्हें कोरोना की दोनों डोज़ लगी हैं। ऐसे में साल के अंत तक केंद्र सरकार कैसे शत-प्रतिशत टीकाकरण कर देगी, यह समझ से परे है।
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