हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा के चुनाव सामने हैं और उससे पहले पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर कर्मचारियों का प्रदर्शन निश्चित रूप से बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही अपने बगावती नेताओं को मनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश में साल 1985 से अब तक हर विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बदलती रही है। देखना होगा कि इस बार क्या यह परंपरा कायम रहती है या फिर बीजेपी इसे तोड़ती है?
कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री हरोली से, आशा कुमारी डलहौजी से, पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर द्रंग से, धनीराम शांडिल सोलन से, पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा धर्मशाला से और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन सीट से चुनाव लड़ेंगे।
क्या आदमी पार्टी को ऐसा लगता है कि वह हिमाचल प्रदेश में कुछ खास नहीं कर पाएगी। आखिर जिस तरह का जबरदस्त चुनाव प्रचार अरविंद केजरीवाल ने मार्च से लेकर अगस्त तक किया उसमें अब कमी क्यों आ गई है।
एबीपी न्यूज़- C-Voter के ओपिनियन पोल के मुताबिक राज्य में एक बार फिर बीजेपी सत्ता में वापसी कर सकती है। 1 से 14 अक्टूबर के बीच हुए इस ओपिनियन पोल में 6,245 लोगों की राय ली गई है।
जम्मू कश्मीर कांग्रेस में कुछ दिन पहले गुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफे के बाद आए राजनीतिक तूफान के बाद अब हिमाचल कांग्रेस में भूचाल आएगा? जानिए आनंद शर्मा ने क्या कहा है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने शनिवार 13 अगस्त को सामूहिक धर्मांतरण विरोधी बिल पास कर दिया। इसमें दो या दो ऊपर की संख्या को सामूहिक माना गया और अधिकतम दस साल की सजा का प्रावधान है। राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
खेती और किसानी पर नीति आयोग की बैठक में खूब बातें हुईं। उनकी आमदनी बढ़ने तक की बातें हुईं। बीजेपी शासित राज्यों ने किसानों की जिन्दगी बदलने के लिए सरकार की पीठ ठोंकी, पीएम मोदी को बधाई दी। लेकिन खेती और किसानी की हकीकत क्या है, क्या सचमुच आमदनी बढ़ी है, पढ़िए यह रिपोर्ट।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं। कांग्रेस के सामने बीजेपी के साथ ही आम आदमी पार्टी से मिल रही चुनौती भी है। गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस क्या फिर से हिमाचल में सरकार बना पाएगी?