हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की पहली बैठक में राज्य में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने का फैसला लिया गया है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान हिमाचल प्रदेश की जनता से वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आई तो ओपीएस को बहाल करेगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस मामले में गहराई से अध्ययन किया गया है और वित्त विभाग के अफसरों ने ओपीएस की बहाली के संबंध में आपत्ति व्यक्त की है। लेकिन इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत आने वाले सभी कर्मचारियों को ओपीएस में शामिल किया जाएगा और कर्मचारियों से बात करने के बाद ही इसका खाका तैयार किया जाएगा।
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मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार वोटों के लिए ओपीएस को बहाल नहीं कर रही है बल्कि कर्मचारियों के आत्मसम्मान और उनकी सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला ले रही है।
चुनाव में बना था मुद्दा
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ओपीएस की बहाली एक बड़ा मुद्दा बना था। हिमाचल प्रदेश में एनपीएस के खिलाफ कर्मचारियों ने मोर्चा खोला हुआ था। कर्मचारी महासंघ ने राज्य की पूर्ववर्ती जयराम ठाकुर सरकार को चेतावनी दी थी कि वह ओपीएस को बहाल करे वरना चुनाव में खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहे। कर्मचारियों ने चुनाव से पहले शिमला में इस योजना को बहाल करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल भी की थी।
68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली थी जबकि बीजेपी 25 सीटों पर सिमट गई और अन्य को 3 सीटों पर जीत मिली थी।
ओपीएस की बहाली के लिए आंदोलन कर रहे कर्मचारियों ने जयराम ठाकुर सरकार से इस संबंध में कई बार गुहार लगाई थी। कर्मचारियों के लगातार प्रदर्शन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एलान किया था कि उनकी सरकार इस मामले में एक कमेटी बनाएगी। लेकिन यह बीजेपी के उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान लिए गए स्टैंड के बिलकुल खिलाफ था।
उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान बीजेपी ने कहा था कि ओपीएस को लागू करना संभव नहीं है लेकिन उसके बाद कुछ राज्य सरकारों ने इसे लागू किया है।
पंजाब में बनी आम आदमी पार्टी की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को लागू कर दिया है। इसके अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने भी अपने-अपने राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को लागू किया है।
कैसे दी जाती है पेंशन?
कर्मचारियों की मौजूदा पेंशन व्यवस्था में कर्मचारी के मूल वेतन और डीए के 10 प्रतिशत के बराबर कर्मचारी और इसका 14 प्रतिशत सरकार जमा करती है। इस पैसे को एबीआई, यूटीआई और एलआईसी के पास जमा किया जाता है। जब कर्मचारी रिटायर होता है तो इस जमा राशि का 60 प्रतिशत उसे नकद भुगतान कर दिया जाता है। शेष 40 प्रतिशत राशि पेंशन के लिए रोक ली जाती है। इसी पैसे से होने वाले मुनाफे को कर्मचारियों को पेंशन के रूप में दिया जाता है।
केंद्र सरकार ने 1 जनवरी, 2004 से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की शुरूआत की थी। 1 जनवरी, 2004 से केंद्रीय निकायों के सभी कर्मचारी, जिनकी नियुक्ति उपरोक्त तिथि या उसके बाद हुई है, इसके तहत आते हैं। 2004 के बाद स्थाई हुए तमाम ऐसे सरकारी कर्मचारी अब सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जो 2004 के पहले ठेके पर काम कर चुके थे, इन लोगों को पेंशन की राशि इतनी कम मिल रही है कि मौजूदा सरकारी कर्मचारी डरे हुए हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद उनका क्या होगा।
कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस में पेंशन के रूप में मिलने वाला पैसा ओपीएस की तुलना में बहुत कम होता है और महंगाई के बढ़ने का इस पर असर नहीं होता और यह फिक्स्ड बना रहता है। इसलिए उनकी मांग है कि ओपीएस को बहाल किया जाए।
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