देश में अब तक एवियन इंफ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू से कोई भी इंसान संक्रमित नहीं है। सिर्फ़ पक्षी ही बीमार हैं। तो पक्षियों की इस बीमारी से इंसान क्यों डर रहे हैं? राज्य सरकारों से लेकर केंद्र सरकार तक आख़िर इतने चिंतित क्यों हैं?
कोरोना का नया स्ट्रेन या नये क़िस्म का कोरोना कितना घातक है? ब्रिटेन में इसकी ख़बर आने पर दुनिया भर में चिंता क्यों बढ़ गई? क्या यह सिर्फ़ ब्रिटेन में ही है और क्या इस नये क़िस्म के कोरोना पर वैक्सीन कारगर होगी?
कोरोना कई मरीज़ों के लिए संक्रमण के दौरान ही नहीं, ठीक होने के बाद भी उतना ही पीड़ादायक साबित हो रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट आई है कि अमेरिका में कोरोना संक्रमित होने के 3 महीने के अंदर हर पाँच में से एक को मानसिक बीमारी हुई।
एक बार कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद भी दोबारा फिर से संक्रमण होने का मामला कितना चिंताजनक है? यह सवाल इसलिए कि जब संक्रमण से ठीक हुए लोगों में फिर से संक्रमण होगा तब तो यह बीमारी दुनिया से कभी ख़त्म ही नहीं होगी!
कई कोरोना मरीज़ ऐसी मनोस्थिति में चले जा रहे हैं जो काफ़ी डरावनी है। कई मरीज़ों को लगा कि उनकी हत्या की जा रही है। किसी को लगा कि उन्हें ज़िंदा जलाया जा रहा है। यह बिल्कुल डरावने सपने जैसा है।
कोरोना से गंजे पुरुषों को ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है। ऐसा दावा ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक गंजे पुरुषों का कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
कोरोना संकट के जूझ रही दुनिया के लिए एक दवा से उम्मीद जागी है। कोरोना वायरस वैक्सीन यानी टीका तैयार होने की संभावना बढ़ी है। लोगों में इस टीका को आजमाये जाने की रिपोर्ट आई है।
किसी भी संकट की स्थिति में व्यक्ति-विशेष की विशिष्ट प्रतिक्रियाएँ होती हैं। यदि संक्रामक महामारी की स्थिति हो तो उस समय व्यक्तियों में यह भय उत्पन्न हो जाता है कि कहीं उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों में यह संक्रमण न हो जाए।
कोरोना वायरस से कैसे बचें? लेकिन इससे तभी बचेंगे न जब यह जानते हों कि कोरोना वायरस कहाँ-कहाँ हो सकता है। आपके कपड़ों में? जूतों में? बालों में? अख़बार में? आपके घर के फर्श पर? दरवाज़े की कुंडी में? इनसे संक्रमण का कितना ज़्यादा ख़तरा है?
कोरोना मरीज़ों में किडनी फ़ेल होने के मामले काफ़ी ज़्यादा आ रहे हैं और अमेरिका फ़िलहाल किडनी के डायलिसिस मशीनों की कमी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
कोरोना बीमारी का अब तक न तो टीका बना है और न ही इलाज के लिए कोई दवा है। उम्मीद की किरण अब प्लाज्मा थेरेपी में दिख रही है। तो ये प्लाज्मा थेरेपी क्या है और कितना कारगर है?
कोरोना वायरस से बचाव के लिए क्या सिर्फ़ मुँह पर मास्क लगा लेना ही काफ़ी है? यदि मास्क को ठीक से नहीं पहना जाए तो क्या वायरस से बचा जा सकता है? बिल्कुल नहीं। तो फिर क्या आप जानते हैं कि कैसे मास्क का सही से इस्तेमाल करना है?
कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ही खौफ कितना ज़्यादा है! क्या हो जब अस्पतालों में भर्ती होने वाले ऐसे 48 फ़ीसदी लोगों में मानसिक दिक्कतें आएँ? क्या सरकार ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है?
कोरोना वायरस से व्याप्त वर्तमान माहौल में सबसे नाजुक स्थिति विभिन्न आयु-समूहों के बच्चों और विद्यार्थियों की है। वायरस से बचाने के लिए बच्चों के स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और वे बड़ों के साथ घरों में कैद रहने को मजबूर हैं।
कोरोना वायरस जिसने सारे भारत में सामान्य जनजीवन को ठप कर दिया है और लोगों को घरों में क़ैद रहने के लिए बाध्य कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कोरोना वायरस है क्या बला।