मध्य प्रदेश में ओमिक्रॉन का कोई केस नहीं होने के बावजूद राज्य में नाइट
कर्फ्यू की घोषणा कर दी गई है। हरियाणा में सार्वजनिक स्थलों पर उन्हीं को
एंट्री मिलेगी, जिन्होंने दोनों टीके लगवा लिए होंगे।
ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरों के बीच फाइजर कंपनी की एंटी वायरल दवा और एक अन्य कंपनी की दवा को अमेरिका में अनुमति मिल गई है। फाइजर की दवा के खाने से कोविड 19 के मरीज 88 फीसदी तक ठीक हो जाते हैं। भारत में भी दोनों दवाएं जल्द उपलब्ध होंगी।
पत्नी और बेटी को कोरोना की वजह से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद को एहतियातन तीन दिनों के लिए घर में आइसोलेट कर लिया है। वो किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उन्हें आज अलीगढ़ की रैली में जाना था लेकिन वहां भी नहीं गए।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है लेकिन पत्नी डिंपल यादव और बेटी कोविड 19 पॉजिटिव पाई गई हैं। डिंपल ने खुद यह जानकारी दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देर रात अखिलेश यादव को फोन कर उनकी पत्नी और बेटी की खैरियत पूछी। देश में ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ रहा है, इसी के साथ कोरोना मरीजों में भी इजाफा हो रहा है।
ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरों के मद्देनजर राहत भरी खबरें भी आ रही हैं। देश के दो मशहूर विशेषज्ञों ने कहा कि ओमिक्रॉन डेल्टा के मुकाबले हल्का होगा। यह फैलेगा जरूर और केस भी ज्यादा होंगे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर जैसा असर नहीं होगा।
भारत में एक तरफ ओमिक्रॉन पैर पसार रहा है तो दूसरी तरफ कोरोना के मामले भी सामने आ रहे हैं। मुंबई के एक स्कूल में 18 छात्रों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। स्कूल बंद कर दिया गया है।
कोरोना से ठीक हुए कई लोग भी संक्रमित हो रहे हैं और कोरोना का टीका लगाए हुए लोग भी। इसका मतलब है कि 'हर्ड इम्युनिटी' की संभावना धुमिल होती दिख रही है। तो क्या कोरोना कभी ख़त्म नहीं होगा?
लांसेट ने एक शोध प्रकाशित किया है जिसमें पता चला है कि फाइज़र और एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन से बनी कोरोना के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी यानी प्रतिरोधी क्षमता 2-3 महीने में ही धीरे-धीरे घटने लगती है।
कोरोना वायरस के प्रकोप ने मानव जीवन और स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है। लोग मर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, अस्पताल मरीजों से भरे हुए हैं। मनोचिकित्सकों के क्लीनिक और परामर्श केंद्रों में मरीज लगातार आते ही जा रहे हैं।
कोरोना वायरस की असली शक्ति है मनुष्य के रक्त के आरबीसी में प्राकृतिक मोलिक्यूल—बिलीवरडीन और बिलीरुबिन- जो शरीर में बने एंटीबाडीज को भी रोक देते हैं और स्वयं इस प्रोटीन के साथ जुड़ कर कोरोना को सुरक्षित कर देते हैं।
नया वायरस शरीर के भीतर अधिक तेज़ी से फैलता है। इसलिए मौत की दर काफ़ी बढ़ सकती है। पहले के स्ट्रेन की तरह ये हमारे नाक के भीतरी हिस्से में नहीं ठहरता बल्कि सीधे फेफड़े में पहुँच जाता है।