कोविड ने सब कुछ बदल डाला। इसलिए सरकार 125 महामारी रोग अधिनियम बदलना चाहती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसीलिए नया राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है। जल्द ही इस पर जनता की राय मांगी जाएगी। इसके बाद इसे केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा जाएगा और संसद के मॉनसून सत्र में इसे पेश किया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने आज इस संबंध में एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस नए कानून के ड्राफ्ट में लॉकडाउन को परिभाषित किया गया है। बॉयो टेररिज्म (जैव आतंकवाद) की स्थिति आने पर क्या प्रोटोकॉल लागू होंगे, उसका भी विवरण है। सबसे बड़ी बात है कि हेल्थ इमरजेंसी के हालात होने पर केंद्र से लेकर राज्य और सबसे निचले स्तर ब्लॉक और ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सेवाओं को किस तरह संचालित किया जाएगा, इसमें पूरा खाका पेश किया गया है। अगर स्पष्ट शब्दों में कहें तो इसके लागू होने पर निचले स्तर पर संबंधित अधिकारियों और प्रतिनिधियों को हालात को संभालने के लिए ज्यादा शक्तियां मिल जाएंगी।
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प्रस्तावित कानून महामारी, आपदाओं और जैव आतंकवाद से पैदा होने वाले खतरों और उनकी निगरानी, बीमारी की अधिसूचना और पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी पर फौरन एक्शन, वैज्ञानिक और व्यापक प्रावधान का प्रबंधन करेगा। मौजूदा महामारी कानून में कोविड जैसी महामारी के लिए क्या प्रोटोकॉल अपनाए जायें, इस पर कुछ नहीं कहा गया है। सरकार 2005 में बने आपदा प्रबंधन अधिनियम और पुराने महामारी कानून के जरिए काम चला रही है।सरकारी सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित कानून के ड्राफ्ट में राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों के साथ चार स्तरीय स्वास्थ्य प्रशासन का खाका पेश किया गया है, जिसके पास पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी से निपटने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित पावर होगी और सारे काम और फैसले होंगे। .
राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (नैशनल पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी - एनपीएचए) का नेतृत्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किया जाना प्रस्तावित है, जिसकी अध्यक्षता राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री करेंगे। जिला कलेक्टर अगले स्तर का नेतृत्व करेंगे, और ब्लॉक इकाइयों का नेतृत्व ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी या चिकित्सा अधीक्षक करेंगे। इन अधिकारियों के पास तमाम बीमारियों और नई संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए उपाय करने का पूरा अधिकार होगा।
यह भी पता चला है कि प्रस्तावित कानून में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य काडर बनाने का भी प्रावधान है।
प्रस्तावित कानून में आइसोलेशन, क्वॉरंटीन और लॉकडाउन जैसे विभिन्न उपायों को परिभाषित किया गया है। जिन्हें केंद्र और राज्यों ने पिछले दिनों कोविड प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर लागू किया था।
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इसमें लॉकडाउन के दौरान सड़क से लेकर आकाश और नदी, समुद्र तक में चलने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर कुछ शर्तों के साथ प्रतिबंध या पूर्ण प्रतिबंध को परिभाषित किया गया है। लॉकडाउन की परिभाषा में सार्वजनिक या निजी किसी भी स्थान पर व्यक्तियों की आवाजाही या सभा पर "प्रतिबंध" शामिल है। इसमें कारखानों, प्लांटों, माइनिंग या निर्माण या कार्यालयों या शैक्षिक संस्थानों या बाजारों के कामकाज को प्रतिबंधित करना शामिल है।
हालांकि ड्राफ्ट में प्रस्तावित तमाम प्रोटोकॉल हाल ही में कोरोना के दौरान सरकार ने लागू किए थे लेकिन उनको लेकर कोई ठोस नियम नहीं थे। वे तदर्थ व्यवस्थाएं थीं। इस कानून में उन पाबंदियों को वैध कर दिया गया है।
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