केरल का एक शख्स, जो भारत का पहला मंकीपॉक्स रोगी था, इस वायरस से ठीक हो गया है। 35 वर्षीय कोल्लम के मूल निवासी को शनिवार को 30 जुलाई को सरकारी मेडिकल कॉलेज से छुट्टी मिल गई।
यूएई से आने के बाद मरीज ने टेस्ट कराया था। जिसका नतीजा पॉजिटिव आया था। वो शख्स 12 जुलाई को त्रिवेंद्रम हवाई अड्डे पर पहुंचा था और 14 जुलाई को उसे मंकीपॉक्स के लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा, उस मरीज के सभी नमूने दो बार नेगेटिव थे। रोगी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है। त्वचा के धब्बे पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। उसे शनिवार को छुट्टी दी जा रही है।
इस बीच, मंकीपॉक्स इन्फेक्शन के लिए पॉजिटिव नतीजे वाले दो अन्य व्यक्तियों की सेहत संतोषजनक बनी हुई है। राज्य में मंकीपॉक्स के पहले तीन मामले सामने आने के बाद केरल सरकार ने रोकथाम और निगरानी के उपाय तेज कर दिए हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरल ज़ूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह डॉक्टरी रूप से कम गंभीर है। 1980 में चेचक के उन्मूलन और बाद में चेचक के टीकाकरण की समाप्ति के साथ, मंकीपॉक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण ऑर्थोपॉक्स वायरस के रूप में उभरा है।
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