कोरोना संक्रमण के मामले आने के कुछ महीने बाद ही लॉन्ग कोविड की आशंका जताई जा रही थी तो क्या ओमिक्रॉन वैरिएंट के आने के बाद भी इसका ख़तरा है? यह सवाल इसलिए कि ओमिक्रॉन वैरिएंट का मामला आने के बाद कहा जा रहा था कि ओमिक्रॉन के बाद कोरोना महामारी एंडेमिक में बदल जाएगा। इसके साथ यह भी कहा जा रहा था कि ओमिक्रॉन आने के बाद हर्ड इम्युनिटी यानी झुंड प्रतिरक्षा इतनी बढ़ जाएगी और लोगों के शरीर में एंटीबॉडी इतनी हो जाएगी कि महामारी ख़त्म हो सकती है।
तो सवाल है कि जिस ओमिक्रॉन से महामारी ख़त्म होने की संभावना जताई जा रही थी उससे क्या लॉन्ग कोविड का ख़तरा है? विशेषज्ञ इस बारे में क्या कहते हैं और आख़िर लॉन्ग कोविड क्या है?
इस सवाल के जवाब में महामारी रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि यह निश्चित रूप से कहना बहुत जल्दी होगा, लेकिन कई डॉक्टरों का मानना है कि वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का दीर्घकालिक प्रभाव होना संभव है।
लॉन्ग कोविड से मतलब है- शुरुआती कोरोना संक्रमण के लक्षण ख़त्म होने के बाद भी जो इसके कारण दूसरी समस्याएँ आती हैं। आमतौर पर कोरोना से लड़ाई के कई हफ्तों बाद इसका इलाज किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की महामारीविद और कोविड-19 पर तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वान केरखोव ने इसी सप्ताह कहा है कि कोई भी लंबे समय तक चलने वाला प्रभाव आमतौर पर प्रारंभिक संक्रमण के लक्षण दूर होने के लगभग 90 दिनों के बाद दिखाई देता है।
कुल मिलाकर, कुछ अनुमान बताते हैं कि एक तिहाई से अधिक कोविड -19 से ठीक हुए लोगों में लॉन्ग कोविड के कुछ लक्षण विकसित होंगे। लक्षणों में थकान, ब्रेन फॉग, सांस की तकलीफ, चिंता और ऐसी ही दूसरी समस्याएँ शामिल हैं। यदि आप कोविड -19 के कारण अस्पताल में भर्ती हुए हैं तो ऐसी बीमारी की संभावना अधिक है, लेकिन शोध से पता चलता है कि यह हल्के संक्रमण के बाद भी हो सकता है।
तो क्या ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों में यह लॉन्ग कोविड के लक्षण दिखे हैं। डॉ. वान केरखोव ने कहा है कि उन्होंने ऐसा कोई शोध नहीं देखा है जो यह दर्शाता हो कि लॉन्ग कोविड वाले लोगों की स्थिति ओमिक्रॉन वैरिएंट के बाद बदल जाए। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की डॉ. लिंडा गेंग, जो लॉन्ग कोविड में विशेषज्ञता वाले कई क्लीनिकों में से एक का सह-निर्देशन करती हैं, ने कहा कि हालाँकि वह निश्चित रूप से नहीं कह सकती हैं, लेकिन ऐसे रोगियों की एक नई लहर की संभावना है। गेंग ने कहा है कि हमें बहुत सतर्क, बहुत सावधान और तैयार रहना होगा।
इस बीच, वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी किसी रहस्यमय स्थिति के पीछे क्या कारण है। उन समस्याओं में से एक यह भी है कि एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हो सकता है।
वैज्ञानिक यह भी देख रहे हैं कि क्या टीके से लॉन्ग कोविड को कम करने में मदद मिल रही है। येल विश्वविद्यालय की एक टीम इस संभावना का अध्ययन कर रही है कि क्या टीकाकरण लॉन्ग कोविड के लक्षणों को कम कर सकता है।
अपनी राय बतायें