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क्या है कोरोना का XE वैरिएंट और कितना घातक है यह?

कोरोना के XE वैरिएंट का पहला केस मुंबई में मिला है या नहीं, इस पर अलग-अलग दावों के बीच इस नये वैरिएंट को लेकर इतनी चिंता क्यों है? आख़िर कोरोना का यह नया वैरिएंट क्या है और यह कितना घातक है?

इसके बारे में जानने से पहले यह जान लें कि भारत में इस नये वैरिएंट पर इतनी चर्चा क्यों तेज़ हो गई। मुंबई के स्थानीय निकाय बीएमसी ने बुधवार को दावा किया कि कोरोना के एक्सई (XE) वैरिएंट का एक मामला मुंबई में पाया गया है, लेकिन तुरंत ही दिल्ली से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि मौजूदा ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे कहा जाए कि यह कोरोना का एक्सई वैरिएंट का मामला है।

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बीएमसी के दावे के अनुसार मरीज पेशे से एक कॉस्ट्यूम डिजाइनर है जो 10 फरवरी, 2022 को दक्षिण अफ्रीका से आई थी। 

लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने उस दावे को लेकर कहा कि 'नमूने के संबंध में फास्टक्यू फाइलों, जिसे एक्सई वैरिएंट कहा जा रहा है, का इंसकॉग के जीनोमिक विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से विश्लेषण किया गया है। उनका मानना है कि इस वैरिएंट का जीनोमिक ढाँचा एक्सई वैरिएंट की जीनोमिक तसवीर से मेल नहीं खाता है।'

क्या है XE वैरिएंट?

नया एक्सई वैरिएंट ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट- बीए.1 और बीए.2 का एक मिश्रित रूप है। इस समय दुनिया भर में केवल कुछ ही मामले इस वैरिएंट के आए हैं। 

ओमिक्रॉन वैरिएंट तीन सब-वैरिएंट- बीए.1, बीए.2 और बीए.3 के रूप में सामने आया है। ये तीनों रूप मूल वैरिएंट से इतने अलग नहीं हैं कि इन्हें दूसरा वैरिएंट कहा जाए। ओमिक्रॉन के जितने भी मामले इस साल आए हैं उनमें 90 फ़ीसदी मामले बीए.1 और बीए.2 के हैं। कोरोना की तीसरी लहर के लिए यही ओमिक्रॉन ही ज़िम्मेदार था। शुरुआत में बीए.1 तेज़ी से फैल रहा था, लेकिन बाद में बीए.2 उससे भी तेज़ी से फैला। बीए.2 को सबसे तेज़ी से फैलने वाले सब-वैरिएंट के रूप में पहचाना गया। 

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कितना घातक है नया वैरिएंट

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, नया एक्सई वैरिएंट ओमिक्रॉन के बीई.2 सब-वैरिएंट की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक तेज़ी से फैलने वाला प्रतीत होता है। अब तक ओमिक्रॉन के बीए.2 सब-वैरिएंट को कोरोना का सबसे संक्रामक रूप माना जाता रहा है। हालाँकि, कहा जा रहा है कि इसके अलावा अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है कि यह ओमिक्रॉन के दूसरे वैरिएंट से काफ़ी ज़्यादा अलग हो। जनवरी महीने में ही इस वैरिएंट का पता चलने के बाद से अब तक इसके मामलों में ज़्यादा उछाल नहीं आया है।

नए साल की शुरुआत में ब्रिटेन में नए वैरिएंट का पता चला था। ब्रिटेन की स्वास्थ्य एजेंसी ने 3 अप्रैल को कहा था कि एक्सई का पहली बार 19 जनवरी को पता चला था और देश में अब तक नए वैरिएंट के 637 मामले सामने आए हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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