ऐसे समय जब कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते ढाई महीने से किसान आन्दोलन चल रहा है और सरकार उनकी माँगें नहीं मान रही है, हरियाणा के कृषि मंत्री ने बेहद संवेदनहीन टिप्पणी की है।
जेजेपी के भीतर कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों के समर्थन में न खड़े होने को लेकर जबरदस्त उथल-पुथल है और इस बीच करनाल जिले के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह गौराया ने किसानों के समर्थन में पार्टी को अलविदा कह दिया है।
किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा में भी जबरदस्त उबाल है। किसान और आम लोग हरियाणा सरकार के द्वारा इंटरनेट को बंद किए जाने से आग बबूला हैं और सड़कों पर उतर आए हैं।
हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार पर संकट की आशंकाओं के बीच मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि सरकार पर कोई ख़तरा नहीं है और यह पाँच साल पूरा करेगी।
किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में ताज़ा घटनाक्रमों के बाद क्या मनोहर लाल खट्टर सरकार संकट में है? यह इसलिए कि राजनीतिक उठापटक इतनी तेज़ हो गई है कि लगता है कि स्थिति संभालने के लिए अमित शाह को जुटना पड़ा है।
कृषि क़ानूनों से नाराज़ किसानों के आंदोलन में आम लोग भी जुड़ रहे हैं। रिलायंस के बाद पतंजलि को भी किसानों और आम लोगों के ग़ुस्से का शिकार होना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की करनाल में किसानों से वार्ता से पहले हरियाणा पुलिस ने किसानों पर आँसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें बरसाईं। किसानों के प्रदर्शन के बाद खट्टर को किसान महापंचायत रद्द करना पड़ा।
हरियाणा पुलिस ने 13 किसानों के ख़िलाफ़ इसलिए हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया है क्योंकि उन्होंने अंबाला में राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के काफिले को काले झंडे दिखाए थे।
अब जब चौधरी बीरेंद्र सिंह किसानों के समर्थन में खुलकर उतर आए हैं तो बीजेपी के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। चौधरी बीरेंद्र सिंह शुक्रवार को सांपला में छोटूराम पार्क में चल रहे धरने में पहुंचे और किसानों को समर्थन दिया।