गुड़गांव के भोरा कलां गांव में स्थित एक मस्जिद में लगभग 200 लोग घुस गए और उन्होंने वहां पर तोड़फोड़ की। उपद्रवियों ने नमाज पढ़ रहे लोगों को धमकाया और उन्हें गांव से बाहर निकालने की भी धमकी दी। यह घटना बुधवार रात को हुई है।
पुलिस ने इस मामले में 8 से 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और वह आगे की जांच कर रही है।
भोरा कलां गांव में रहने वाले सूबेदार नजर मोहम्मद की ओर से पुलिस में शिकायत दी गई है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि राजेश चौहान उर्फ बाबू, अनिल भदौरिया और संजय व्यास के नेतृत्व में आई भीड़ ने मस्जिद में मौजूद नमाजियों को धमकाया।
शिकायत में कहा गया है कि बुधवार रात को जब मस्जिद में नमाज हो रही थी तो ये लोग आए और उन्होंने वहां मौजूद लोगों पर हमला कर दिया और मस्जिद के प्रार्थना हॉल में भी ताला लगा दिया।
उन्होंने शिकायत में कहा है कि भीड़ ने उन्हें हत्या करने की धमकी दी। जब तक पुलिस मौके पर पहुंची अभियुक्त वहां से भाग चुके थे।
नजर मोहम्मद ने अपनी शिकायत में कहा है कि ये लोग बुधवार सुबह भी आए थे और मस्जिद को घेर लिया था। उन्होंने कहा है कि गांव में मुसलमानों के सिर्फ चार परिवार हैं और हर दिन उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों के द्वारा किए गए हमले में कुछ लोग घायल भी हो गए हैं। उन्होंने शिकायत में कहा है कि उन लोगों के पास बंदूक भी थी और हमें पुलिस की सुरक्षा की जरूरत है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुरुवार को इस इलाके में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। पटौदी के एसीपी हरिंदर कुमार ने बताया कि यहां पर मुसलिम परिवारों ने कुछ साल पहले छोटी मस्जिद बनाई थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में अभियुक्त फरार हैं और पुलिस दोनों समुदायों के लोगों से बात कर मामले को हल करने की कोशिश कर रही है।
सरपंच का बयान
गांव के सरपंच गजेंद्र शर्मा ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी थी की मस्जिद में मरम्मत का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों की निजी संपत्ति है और इस मामले में कुछ शरारती लोगों ने इस तरह की हरकत की है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि यहां रहने वाले मुसलिम परिवार एक बड़ी मस्जिद बना लेंगे और बाहर से लोगों को बुलाएंगे। उन्होंने कहा कि घटना की सूचना मिलने पर वह मौके पर पहुंचे थे।
गांव में रहने वाले इमरान खान ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने मस्जिद में मरम्मत के काम के लिए कुछ मजदूरों को बुलाया था। उन्होंने कहा कि मस्जिद उनकी अपनी जमीन पर और अपने पैसे से बनी है और उन्होंने इस बात को उपद्रवियों को समझाने की कोशिश भी की लेकिन वे नहीं माने और हमसे कहा कि हम जमीन का अतिक्रमण करके एक बड़ी मस्जिद बनाने की कोशिश कर रहे हैं। एक छात्र नासिर हुसैन ने बताया कि साल 2013 में भी एक भीड़ ने मस्जिद में घुसने की कोशिश की थी।
नमाज का हुआ था विरोध
बताना होगा कि पिछले साल गुड़गांव में सार्वजनिक जगहों पर जुमे की नमाज के विरोध को लेकर अच्छा खासा बवाल हुआ था। हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया था। हिंदू संगठनों को उन चयनित जगहों पर भी ऐतराज था जिनका चयन मुसलिम और हिंदू समुदाय और प्रशासन के अफसरों के बीच लंबी बातचीत के बाद नमाज पढ़ने के लिए किया गया था।
इस मामले में पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और उन्होंने अपनी याचिका में राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। लेकिन हरियाणा पुलिस ने मोहम्मद अदीब के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर ली थी। मोहम्मद अदीब का कहना था कि पुलिस ने बिना कोई जांच किए ही एफआईआर दर्ज कर दी।
सार्वजनिक जगहों पर नमाज को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का भी बयान आया था। खट्टर ने कहा था कि ताकत का ऐसा प्रदर्शन करना जिससे दूसरे समुदाय की भावनाएं भड़कती हों, यह गलत है। खट्टर ने यह भी कहा था कि खुले में नमाज पढ़ने की प्रथा को कतई सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने मुसलमानों को सलाह दी थी कि वे अपने घर में नमाज पढ़ें।
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